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    दीवाली पर पंजाब की हवा हुई जहरीली, पटाखों के धुएं से 500 तक पहुंचा AQI, 90 प्रतिशत कम जली पराली

    Updated: Tue, 21 Oct 2025 08:00 PM (IST)

    पंजाब में दिवाली की रात पटाखों के धुएं से हवा जहरीली हो गई, जिससे एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) का स्तर खतरनाक हो गया। अमृतसर और जालंधर में एक्यूआइ 500 तक पहुंच गया। राज्य में पराली जलाने के मामलों में कमी आई है, लेकिन प्रदूषण का स्तर खतरनाक बना हुआ है। 

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    दीवाली पर पंजाब की हवा हुई जहरीली। फाइल फोटो

    गौरव सूद, पटियाला। पंजाब में इस बार दीवाली की रात पराली तो कम जली, लेकिन पटाखों के धुएं से हवा जहरीली हो गई और एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया। अमृतसर और जालंधर एक्यूआइ स्तर 500 तक रहा। जहीरीली हवा के बीच सांस लेना मुश्किल हो गया।

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    राज्य में मंगलवार को भी कुछ स्थानों पर दीवाली व बंदी छोड़ दिवस मनाया जाएगा। ऐसे में आतिशबाजी से एक्यूआइ का स्तर और बिगड़ सकता है। सोमवार को दीवाली की आड़ में ज्यादा पराली जलाने की आशंका थी, लेकिन राज्य में केवल 45 केस सामने आए, जोकि पिछले वर्ष के मुकाबले 90 प्रतिशत कम है।

    वर्ष 2024 में 31 अक्टूबर को दीवाली वाले दिन राज्य में पराली जलाने के 484 केस आए थे। अब तक राज्य में पराली जलाने के लिए 353 मामले सामने आ चुके हैं। तरनतारन में सबसे ज्यादा अब तक 125 और अमृतसर में 112 मामले सामने आए हैं।

    एक दिन पहले रविवार को भी पराली जलाने के 67 केस थे, लेकिन सभी शहरों में एक्यूआइ 200 से नीचे था। सोमवार रात दीवाली पर पटाखों के धुएं के कारण एक्यूआइ खतरनाक स्थिति में पहुंच गया। पटियाला और लुधियाना का एक्यूआइ भी 400 के पार रहा। इस स्थिति में खुले में सांस लेना बेहद खतरनाक माना जाता है।

    दीवाली पर रात 11 से चार बजे तक सबसे ज्यादा हुआ प्रदूषण दीवाली पर देर रात तक पटाखे चलाए गए। प्रदूषण का ज्यादा असर रात 11 से सुबह 4 बजे के बीच पड़ा। अमृतसर और जालंधर में रात 11 बजे के बाद ही एक्यूआइ का स्तर 500 के खतरनाक आंकड़े को छू गया था।

    बाढ़ के कारण भी कम जल रही पराली विशेषज्ञों अनुसार सख्ती के साथ-साथ इस बार माझा इलाका बाढ़ की चपेट में आने से बड़े स्तर पर फसल तबाह हो गई। सीजन की शुरुआत में माझा क्षेत्र में ही फसल की कटाई पहले होती है।

    ऐसे में माझा क्षेत्र में फसल तबाह होने के कारण पराली जलाने के मामलों में बड़ी कमी आई है। हालांकि मालवा क्षेत्र में फसल की कटाई शुरू होने के साथ ही अगले दिनों में पराली जलाने के मामलों के बढ़ने की संभावना है।