पंजाब में दीपावली पर 90 प्रतिशत कम जली पराली, पटाखों के धुएं से एक्यूआई 500 तक पहुंचा
पंजाब में दिवाली पर पराली जलाने की घटनाओं में 90% की कमी आई, लेकिन पटाखों के धुएं के कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 500 तक पहुँच गया। अमृतसर और जालंधर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रहा, जिससे सांस लेना मुश्किल हो गया। बाढ़ के कारण माझा क्षेत्र में फसलें तबाह होने से भी पराली जलाने में कमी आई है।

दीवाली की रात 45 जगह पर ही जली पराली, पिछले वर्ष का आंकड़ा 484 था।
गौरव सूद, पटियाला। पंजाब में इस बार दीवाली की रात पराली तो कम जली, लेकिन पटाखों के धुएं से हवा जहरीली हो गई और एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया। अमृतसर और जालंधर एक्यूआइ स्तर 500 तक रहा। जहरीली हवा के बीच सांस लेना मुश्किल हो गया। राज्य में मंगलवार को भी कुछ स्थानों पर दीवाली व बंदी छोड़ दिवस मनाया गया।
ऐसे में आतिशबाजी से एक्यूआइ का स्तर और बिगड़ सकता है।पूरे राज्य में दीवाली के दिन पराली जलाने के केवल 45 केस सामने आए, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 90 प्रतिशत कम है। वर्ष 2024 में 31 अक्टूबर को दीवाली वाले दिन राज्य में पराली जलाने के 484 केस आए थे। अब तक राज्य में पराली जलाने के लिए 353 मामले सामने आ चुके हैं। तरनतारन में सबसे ज्यादा अब तक 125 और अमृतसर में 112 मामले सामने आए हैं। एक दिन पहले रविवार को भी पराली जलाने के 67 केस थे, लेकिन सभी शहरों में एक्यूआइ 200 से नीचे था।
रात 11 से चार बजे तक सबसे ज्यादा हुआ प्रदूषण
दीवाली पर देर रात तक पटाखे चलाए गए। प्रदूषण का ज्यादा असर रात 11 से सुबह 4 बजे के बीच पड़ा। अमृतसर और जालंधर में रात 11 बजे के बाद ही एक्यूआइ का स्तर 500 के खतरनाक आंकड़े को छू गया था।
बाढ़ के कारण भी कम जल रही पराली
विशेषज्ञों अनुसार सख्ती के साथ-साथ इस बार माझा इलाका बाढ़ की चपेट में आने से बड़े स्तर पर फसल तबाह हो गई। सीजन की शुरुआत में माझा क्षेत्र में ही फसल की कटाई पहले होती है। ऐसे में माझा क्षेत्र में फसल तबाह होने के कारण पराली जलाने के मामलों में बड़ी कमी आई है। हालांकि, मालवा क्षेत्र में फसल की कटाई शुरू होने के साथ ही अगले दिनों में पराली जलाने के मामलों के बढ़ने की संभावना है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।