पटियाला में अवैध स्पीड ब्रेकर दे रहे हादसों को न्योता, निगल गए हैं कई जिंदगियां
पटियाला जिले में हर साल 500 से अधिक सड़क हादसे हो रहे हैं जिनमें से 100 से अधिक जानें अवैध स्पीड ब्रेकर के कारण जा रही हैं। 19 अगस्त को एक ऐसे ही हादसे में स्पीड ब्रेकर पर पेंट न होने के कारण एक मोटरसाइकिल सवार की मौत हो गई।
प्रेम वर्मा, पटियाला। जिला ट्रैफिक पुलिस की माने तो जिले में हर साल 500 से अधिक सड़क हादसे हो रहे हैं और तीन सालों से यह आंकड़ा बढ़ रहा है। इनमें से 100 अधिक जिंदगियां खराब या अवैध स्पीड ब्रेकर निगल रहे हैं। कहीं जरूरत तो कही बिना जरूरत के ही मनमर्जी से स्पीड ब्रेकर बनाए जा रहे हैं।
पहले तो तय मापदंड के अनुसार ये बनाए नहीं जाते। कहीं सही बनाए जाते हैं तो बाद में इनकी संभाल नहीं की जाती है। ताजा मामला 19 अगस्त का है जहां स्पीड ब्रेकर के कारण कार चालक ने ब्रेक लगाई तो पीछे से आ रहा मोटरसाइकिल सवार कार से टकरा गया है। हादसे में उसकी मौत हो गई, जबकि पत्नी व बेटा घायल है। इस स्पीड ब्रेकर पर पेंट नहीं था जिस कारण यह दिखा नहीं।
विभाग के खिलाफ याचिका दायर की जा सकती है
एडवोकेट दीक्षित राज कपूर एडवोकेट दीक्षित राज कपूर कहते हैं कि यदि सड़क हादसे में किसी जान चली जाती है और इस हादसे के लिए सड़क की बनावट या सड़क की खामी जिम्मेदार है तो अदालत में याचिका दायर की जा सकती है। सड़क हादसे में चालक यदि सभी नियम पूरा कर रहा है और विभाग की लापरवाही से टूटी सड़क या स्पीड ब्रेकर से नुकसान हुआ है, तब भी अदालत में जा सकते हैं।
अधिकारी सही से काम नहीं करते, वे सीधे तौर पर जिम्मेदार: भूपिंदर चौहान
मानव सेवा मंच के युवा नेता भूपिंदर चौहान बताते हैं कि पुलिस ऐसे स्पीड ब्रेकर की वजह से हादसे में जान गंवाने के मामले में इसे महज हादसा मानते हुए मामला खत्म कर देती है। जबकि इसके लिए संबंधित एरिया के विभाग के अधिकारी सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। उनके काम सही तरीके से न होने की वजह से हादसे होते हैं, ऐसे में एफआईआर तो विभाग के अधिकारी पर भी की जानी चाहिए।
शहर में इस समय दो तरह के स्पीड ब्रेकर बनाए हुए हैं। सड़कों पर लुक वाले तो शहर की गलियों तो कुछ मेन सड़क पर डेलिनेटर (रेडियम लाइट्स वाले प्लास्टिक के) स्पीड ब्रेकर बने हुए हैं। ज्यादातर लुक वाले स्पीड ब्रेकरों पर सफेद पट्टी नहीं बनाई हुई है और इनके हालत भी खस्ता होने के कारण गड्ढे का रूप ले चुके हैं।
इसी तरह डेलिनेटर से प्लास्टिक टूट जाने के बाद इनमें लगाए कील उसी तरह पर सड़क पर गढ़े हुए होते हैं, जिसमें गुजरने पर अकसर दोपहिया वाहन का बैलेंस बिगड़ जाता है और हादसे की आशंका रहती है।
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