पटियाला में RSS का 100वां विजयदशमी समारोह, संघ के देशभक्ति और सेवा कार्यों का हुआ गुणगान
पटियाला में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने विजयदशमी पर अपना 100वां स्थापना दिवस मनाया। विनय कुमार ने स्व बोध पर्यावरण संरक्षण नागरिक कर्तव्य समरसता और आदर्श परिवार प्रणाली को भारत के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने चरित्र निर्माण और पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया। बलजिंदर ठाकुर ने गुरु तेगबहादुर जी के बलिदान का स्मरण किया। नरेश वत्स ने संघ के देशभक्ति और सेवा कार्यों की सराहना की।

जागरण संवाददाता, पटियाला। अधर्म पर धर्म की विजय के पर्व विजयदशमी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपना 100वां स्थापना पर्व मनाया। आज के दिन 1925 में डा. केशव बलिराम हेडगेवार ने कुछ बच्चों को लेकर नागपुर में संघ की स्थापना की थी और आज यह संगठन दुनिया की सबसे बड़ा गैर-सरकारी संगठन बन चुका है।
इस अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों में समारोह आयोजित हुए, अपने शहर के प्रेम धाम स्कूल के प्रांगण में हुए समारोह के दौरान समारोह के अध्यक्ष संघ के पदाधिकारी माननीय विभाग संघचालक डा. बलजिंदर ठाकुर, मुख्य अतिथि डा. नरेश वत्स (डीन अकादमिक मामले, राजीव गांधी ला यूनिवर्सिटी पटियाला और मुख्य वक्ता मान विनय कुमार पंजाब प्रांत कार्यवाह आरएसएस ने विधिवत शस्त्र पूजन किया। समारोह में क्षेत्र के गणमान्य स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता विनय ने कहा कि स्व बोध, पर्यावरण संरक्षण, नागरिक कर्तव्य निर्वहन, समरसता व आदर्श परिवार प्रणाली से ही भारत का समग्र विकास हो पाएगा। उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र के निर्माण व उत्थान के लिए वहां के नागरिकों का चरित्रवान व देशभक्ति के गुणों से परिपूर्ण होना आवश्यक है।
कई बार चरित्र के बिना शिक्षा व ज्ञान भी घातक बन जाता है। उन्होंने कहा कि संघ चरित्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण की कार्यपद्धति को लेकर राष्ट्र के परम वैभव के लिए काम कर रहा है। श्री गुरु तेगबहादुर जी के आने वाले 350वें बलिदान दिवस पर उनका पुण्य स्मरण करते हुए संघ अधिकारी बलजिंदर ठाकुर ने कहा कि गुरुजी ने अपने जीवन का बलिदान दे मानवाधिकारों व मानवीय मूल्यों की रक्षा का संदेश दिया।
उन्होंने कहा कि स्व के बोध, पर्यावरण संरक्षण, नागरिक कर्तव्य निर्वहन, समरसता व आदर्श परिवार प्रणाली आदि पांच बिंदुओं पर चल कर हम अपने देश का उत्थान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण समकालीन परिदृश्य में एक बड़ी वैश्विक चुनौती है और भारत को भी पर्यावरणीय समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन और प्रदूषणों ने पर्यावरण को बहुत अधिक मात्रा में नुकसान पहुंचाया है जिसका मानव जीवन और भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इसके लिए हमारे लिए पर्यावरण हितौषी जीवन शैली आवश्यक है। स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने वाले अभियानों को प्रेरित करना, पारंपरिक कौशल और उद्योगों को पुनर्जीवित करने का प्रयत्न करना आवश्यक है।
इस अवसर पर समारोह के मुख्यातिथि डा नरेश वत्स ने कहा कि अपने सदकर्मों व सकारात्मक कार्यपद्धति के चलते संघ अपने जीवन के 100 सालों में देशभक्ति, आपसी भाईचारे और सेवा का दूसरा नाम बन चुका है। उन्होंने कहा कि देश में जब भी संकट आता है तो संघ के स्वयंसेवक आगे बढ़ कर अपने राष्ट्रीय दायित्वों का निर्वहन करते हैं।
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