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    पटियाला के फव्वारा चौक से लीला भवन तक करोड़ों की सड़क एक महीने में टूटी, गड्ढा दे रहा हादसों को दावत

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 11:34 AM (IST)

    पटियाला के फव्वारा चौक-लीला भवन मार्ग पर नई सड़क में गड्ढा पड़ने से लोग परेशान हैं। स्थानीय लोगों ने घटिया सामग्री के इस्तेमाल का आरोप लगाया है। नगर निगम ने अब थर्ड पार्टी ऑडिट कराने का फैसला किया है। पीडब्ल्यूडी के अनुसार, पाइपलाइन लीकेज के कारण गड्ढा पड़ा है, जिसे जल्द ठीक किया जाएगा। सड़क निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान रखना ज़रूरी है।

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    पीडब्ल्यूडी अधिकारी बोले पाइप लाइन टूटने के कारण समस्या बनी (फोटो: जागरण)

    जागरण संवाददाता, पटियाला। यहां फव्वारा चौक से लीला भवन को जाने वाली सड़क पिछले कुछ समय पहले ही नगर निगम द्वारा नई बनाई गई थी। पर दो महीने भी अभी खत्म नहीं हुए कि सड़क में गड्ढे पड़ने शुरू हो चुके है।

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    यहां पोस्ट आफिस के मुख्य दफ्तर के सामने नई बनी सड़क दबने के चलते गड्ढा बन गया। लोगों द्वारा इस गड्ढे की वीडिओ बनाकर इंटरनेट पर वायरल करके सवाल खड़े किए जा रहे है।

    लोगों का कहना है कि सड़क बनाने के दौरान घटिया मटीरियल का प्रयोग किया जा रहा है, इसी वजह से कुछ समय पहले बनी सड़क पर गड्ढा बन गया। हालांकि दूसरी और अब सड़कों के निर्माण को लेकर नगर निगम ने भी सख्ती करना शुरू कर दिया है।

    निगम ने फैसला किया है कि अब वह सरकारी एजेंसियों से आडिट कराकर ही संबंधित ठेकेदारों को पेमेंट करेगा। बता दें कि नगर निगम द्वारा पिछले तीन महीने पहले ही शहर की सड़कों को नए सिरे से बनाने का कार्य शुरू किया गया है।

    फव्वारा चौक से लीला भवन चौक तक जाने वाली सड़क को दो महीने के भीतर ही बनाया गया था। हालांकि दूसरी और अधिकारियों का कहना है कि यह समस्या बड़ी नहीं है, पाइप लाइन टूटने लीकेज होने के कारण सड़क पर गड्ढा पड़ा है, अधिकारियों का कहना है कि उसके ठीक करवा दिया जाएगा।

    यह पहली बार है कि नगर निगम के दायरे में जिन सड़कों को नए सिरे से निर्माण कराया जा रहा है, उसका थर्ड पार्टी आडिट होगा। आडिट होने के बाद संबंधित ठेकेदार को निगम पेमेंट करेगा।

    निगम मेयर कुंदन गोगिया ने कहा कि नगर निगम सरकारी एजेंसियों से थर्ड पार्टी आडिट कराएगा। इसके लिए निगम द्वारा जल्द टेंडर भी लगाया जाएगा। एजेंसी को करीब एक वर्ष के लिए हायर किया जाएगा।

    एजेंसी द्वारा शहर में जहां कही भी सड़कें बन नही है, की जांच करके देखा जाएगा कि सड़क बनाने के दौरान प्रयोग किया मैटीरियल सही था या नहीं। मेयर ने कहा कि एजेंसी की रिपोर्ट मिलने के बाद संबंधित ठेकेदार को निगम पेमेंट करेगा।

    पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन पियूष अग्रवाल ने कहा कि मामला उनके ध्यान में आ चुका है और उसकी जांच की भी की गई है, सड़क के नीचे पानी वाली पाइप में लीकेज होने के चलते सड़क का छोटा सा हिस्सा दबने के कारण गड्डा पड़ गया, उसे ठीक भी करवा दिया गया है। उन्होंने कहा कि पीडब्ल्यूडी द्वारा जिन सडकों को निर्माण किया जा रहा है में किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी जा रही।

    आप खुद भी सड़क के निर्माण के दौरान इन बुनियादी चीजों का रख सकते है ध्यान

    सबसे पहले यह जांच लें कि जिस पुरानी सड़क या मिट्टी पर नई सड़क बनाई जा रही है, उसकी अच्छी तरह सफाई की गई है या नहीं।

    अगर नीचे गंदगी या गाद है और उसके ऊपर तारकोल लगाया जा रहा है, तो सड़क जल्दी टूट जाएगी। सतह को साफ़ रखना बहुत ज़रूरी है।

    नई परत बिछाने से पहले, पुरानी सड़क पर पेंट की एक पतली परत, जिसे 'टैक कोट' कहा जाता है, छिड़की जाती है। यह गोंद का काम करती है।

    ठेकेदार ने बजरी बिछाने से पहले यह काला तेल छिड़का था? कभी-कभी ठेकेदार पैसे बचाने के लिए इसे नहीं छिड़कते या बहुत कम छिड़कते हैं। यह परत एक समान और काली होनी चाहिए।

    सड़क बनाते समय रेत और बजरी का पूर्व-मिश्रण बहुत गर्म होना चाहिए।

    जब मशीन या टिपर माल गिराए, तो उसमें से धुआं निकलना चाहिए। अगर माल ठंडा होगा, तो वह सड़क पर चिपकेगा नहीं और जल्दी से उतर जाएगा। उसका तापमान 130-160 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।

    बजरी पूरी तरह से बिटुमेन से ढकी होनी चाहिए (काली होनी चाहिए)। अगर आपको सूखी या भूरी बजरी दिखाई दे, तो इसका मतलब है कि बिटुमेन की मात्रा कम है। सड़क कितने इंच मोटी होनी है, यह प्रोजेक्ट बोर्ड पर लिखा होता है। आप स्केल से जांच सकते हैं कि नई परत उतनी मोटी है या नहीं।

    सड़क बिछाने के तुरंत बाद भारी रोलर चलाना बहुत जरूरी है। अगर रोलर चलने के बाद भी सड़क पर बजरी ढीली है या उस पर पैर रखने पर सिकुड़ रही है, तो काम खराब है। सतह पूरी तरह से चिकनी होनी चाहिए।

    प्रत्येक सड़क निर्माण स्थल पर नागरिक सूचना बोर्ड स्थापित किया जाना चाहिए। इसमें सड़क की लंबाई, लागत, ठेकेदार का नाम और निर्माण पूरा होने की तिथि अंकित होती है।

    अगर आकपो संदेह है तो मौके पर ही फोटो और वीडियो लें। संबंधित विभाग (जैसे पीडब्ल्यूडी, मंडी बोर्ड या नगर निगम) के जेई या एसडीओ से शिकायत करें। सीएम विंडो'''' या हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत दर्ज कराएं।