Patiala News: शाही शहर में गति पर नहीं नियंत्रण, दो साल में 1074 दुर्घटनाएं, 864 लोगों ने गंवाई जान
Patiala News हाईवे पर तेज गति दुर्घटनाओं और मौत का कारण बन रही है। पिछले दो साल में कुल 1253 हादसे हुए है। आलम यह है कि इस समय शहर के चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारी तो मौजूद हैं।

गौरव सूद, पटियाला। हाईवे पर तेज गति दुर्घटनाओं और मौत का कारण बन रही है। पिछले दो साल में कुल 1253 हादसे हुए हैं। इनमें 1074 दुर्घटनाएं तेज गति के कारण हुए हैं। इनमें 864 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। साल 2021 में तेज रफ्तार और रैश ड्राइविंग (बिना सुरक्षा व ड्राइविंग के नियमों का पालन किए वाहन चलाना) के कारण जिला में 644 दुर्घटनाएं हुई, जिनमें तेज रफ्तार से करीब 580 थीं। इनमें 434 लोगों की जान गई।
साल 2022 में अगस्त तक कुल हादसे करीब 500 हुए इसमें तेज गति से 430 दुर्घटनाएं में 286 लोग जान गंवा चुके हैं। दोनों सालों की तुलना में चाहे 2022 में अभी तक 214 दुर्घटनाएं कम हुई हैं, लेकिन इन दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों की संख्या लगभग बराबर हो चुकी है। 2022 में 500 चालान के करीब हुए हैं। इन दुर्घटनाओ के लिए जहां रैश ड्राइविंग और ओवर स्पीडिंग करने वाला हर व्यक्ति जिम्मेवार है। वहीं नियमों का उल्लंघन करने वालों को जागरूक करने के लिए आयोजित होने वाले कैंप और नियम तोड़ने वालों खिलाफ कार्रवाई से असमर्थ पुलिस प्रशासन भी उतना ही जिम्मेवार है। मौजूदा समय में भी ट्रैफिक पुलिस की चालान बुक जमा हैं। ऐसे में ट्रैफिक पुलिस नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करने के बजाए केवल उन्हें ट्रैफिक नियमों का पाठ पढ़ाने के लिए मजबूर है।
आलम यह है कि इस समय शहर के चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारी तो मौजूद हैं, लेकिन चालान बुक न होने के कारण जिला में चालान बिलकुल बंद हैं। चालान में भ्रष्टाचार, इसलिए स्पीड इंटरसेप्टर सिस्टम ही बंद साल 2021 तत्कालीन एसएसपी मंदीप सिंह सिद्धू ने चालान के नाम पर रिश्वतखोरी के आरोप में करीब पांच पुलिस कर्मचारियों को लाइन हाजिर करने के साथ-साथ ट्रैफिक चालान बुक भी जमा करवा ली गई थी और स्पीड इंटरसेप्टर सिस्टम भी बंद करवा दिया गया था।
इसके चलते लंबे समय तक ट्रैफिक चालान पूरी तरह से बंद रहे। इसके बाद 2022 में तत्कालीन एसएसपी नानक सिंह के कार्यकाल दौरान दोबारा स्पीड इंटरसेप्टर सिस्टम से हाईवे पर ओवर स्पीडिंग के चालान शुरू हुए, लेकिन कुछ दिन बाद यह दोबारा बंद हो गए। नेशनल हाईवे पर झाड़ियों में छिपे स्पीड लिमिट बोर्ड, स्टेट हाईवे पर बोर्ड ही नहीं पटियाला जिले से गुजरने वाले नेशनल हाईवे की बात करें तो यहां स्पीड लिमिट समेत अन्य साइन बोर्ड तो मौजूद हैं, लेकिन झाड़ियों के कारण वाहन चालक इन्हें देखने से असमर्थ हैं।
ऐसे में उन्हें साइन बोर्ड या स्पीड लिमिट दिखता ही नहीं और अगर दिखता भी है तो वह भी बहुत नजदीक जाकर झाड़ियों में ध्यान से देखने पर। वहीं अगर स्टेट हाईवेज की बात करें तो वहां पर तो साइन बोर्ड व स्पीड लिमिट बोर्ड मौजूद ही नहीं है।
इसका उदाहरण पटियाला-भादसों स्टेट हाईवे पर मिलती है। जहां रोड तो काफी शानदार बना हुआ है, लेकिन रोड पर शार्प टर्न समेत स्पीड लिमिट जैसे जरूरी बोर्ड ही गायब हैं। जागरूकता कैंप भी हुए बंद पिछले समय दौरान पटियाला में राज्य का पहला पंजाब ट्रैफिक रूल्स अवेयरनेस सेंटर चलाया जा रहा था। इस सेंटर का काम यह था कि जो भी व्यक्ति ट्रैफिक नियमों की अवहेलना करता था, उसे पहले ट्रैफिक मार्शल नियमों संबंधी अवगत करवाने के लिए लेक्चर देते थे।
इसके बाद ही कोर्ट में पेश होने उपरांत उसका चालान भरा जाता था। इन दिनों यह व्यवस्था भी बंद हो चुकी है। इससे नियमों का उल्लंघन होने पर जुर्माना तो हो जाता है लेकिन नियमों की जानकारी से फिर वह व्यक्ति वंचित रह जाता है। जिससे दोबारा गलती होने के चांस भी काफी बढ़ जाते हैं।
एक्सपर्ट व्यू: कोर्ट में शुरू होना चाहिए चालान का भुगतान: गुरकिरत सिंह रोड रोड सेफ्टी जागरूकता कैंप संचालक गुरकिरत सिंह ने कहा कि अक्सर नियमों की अवहेलना करने पर चालान होने की सूरत में व्यक्ति किसी एजेंट को चालान से थोड़े ज्यादा पैसे देकर दफ्तर में बिना जाए ही अपना चालान भरवा लेता है। ऐसे में उसे गलती करने का पछतावा भी नहीं होता। ऐसे में नियमों में बदलाव करते हुए चालान का भुगतान कोर्ट में शुरू होना चाहिए। जहां ट्रैफिक नियमों की अवहेलना करने वाले व्यक्ति को खुद पेश होकर चालान भरना पड़े और इसके साथ ही ट्रैफिक नियमों संबंधी लेक्चर भी अनिवार्य किया जाए।
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