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माता कौशल्या के मायके और भगवान राम के ननिहाल है गांव घड़ाम में

पटियाला त्रेता युग में राजा दशरथ का विवाह घड़ाम के राजा भानुमंत की बेटी कौशल्या से हुआ था। उस समय इस नगर का नाम कौशलपुर/कौशलदेश था

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 12:28 AM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 12:28 AM (IST)
माता कौशल्या के मायके और भगवान राम के ननिहाल है गांव घड़ाम में
माता कौशल्या के मायके और भगवान राम के ननिहाल है गांव घड़ाम में

जागरण संवाददाता, पटियाला : त्रेता युग में राजा दशरथ का विवाह घड़ाम के राजा भानुमंत की बेटी कौशल्या से हुआ था। उस समय इस नगर का नाम कौशलपुर/कौशलदेश था, जिसे पंजाब के एक हिस्से के तौर पर जाना जाता था। इसका वर्णन हिदू धार्मिक ग्रंथ रामायण में भी आता है। हिदू धर्म में प्रचलित रिवाज के मुताबिक औरत अपने पहले बच्चे को मायके में जन्म देती है। इसी कारण घड़ाम मतलब कौशलदेश भगवान रामचंद्र का ननिहाल रहा है। विद्वानों का मानना है कि यदि इतिहास में कोई भगवान रामचंद्र हुए हैं तो उनका जन्म घड़ाम का है। इस बात का हवाला पंजाब यूनिवर्सिटी की तरफ से प्रकाशित पुस्तक ग्रंथ आफ फोक लोर और कुछ अन्य किताबें से भी मिलता है। इस नगर का नाम भगवान रामचंद्र के जन्म के बाद कौशलपुर से कोहेराम अर्थात राम की पहाड़ी पड़ गया, क्योंकि भगवान राम गांव के बीच पहाड़ीनुमा जगह पर खेलते थे। नगर कोहेराम का हवाला आइन-ए-अकबरी और इस्लामिक इतिहास में भी मौजूद है। कोहेराम के बाद इस नगर का नाम घू-राम अर्थात राम का घर पड़ गया। मुगल हकूमत के समय इस गांव का नाम घड़ाम पड़ गया, क्योंकि मुगल राम का नाम लेना नहीं चाहते थे। पटियाला रियासत के राजा कर्म सिंह ने इस गांव का नाम रामगढ़ भी रखा और जहां राम खेलते थे उस पहाड़ीनुमा जगह पर बने किले की मरम्मत करवाई। पंजाब स्टेट गजटियर 1904 में अंग्रेजों के समय इस गांव का नाम घुड़ाम बता कर भगवान रामचंद्र का ननिहाल गांव बताया है। यही हवाला एक ओर रेफ्रेंस बुक ए गाइड टू पेप्सू 1956 में से भी मिलता है।

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इस नगर में लगभग 200 फीट ऊंची पहाड़ीनुमा जगह है, जिसकी पूर्व राष्ट्रपति और पंजाब में 1971 के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह के आदेशों पर पुरातत्व विभाग ने खुदाई की थी। इस खुदाई में प्राचीन काल को दर्शाते कई सबूत मिले थे, परंतु फंडों की कमी और कुछ अन्य कारण की वजह से खुदाई बीच में ही रोक दी थी। नगर घड़ाम में पहाड़ीनुमा जगह और खंडहर हुए किले का कुछ हिस्सा अभी भी मौजूद है।

--संजय वर्मा--


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