प्राचीन शिव मंदिर नलास में शिवरात्रि मेले की तैयारियां जोरों पर, सौ से ज्यादा बैरिकेड लगाए
राजपुरा के प्राचीन शिव मंदिर नलास में महाशिवरात्रि पर लगने वाले मेले की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं।
By JagranEdited By: Updated: Thu, 24 Feb 2022 06:23 PM (IST)
प्रिस तनेजा, राजपुरा (पटियाला)
राजपुरा के प्राचीन शिव मंदिर नलास में महाशिवरात्रि पर लगने वाले मेले की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। इस मेले मे हर वर्ष देश-विदेश से लाखों लोग पहुंचते हैं। इस बार मेले मे पहुंचने वाले श्रद्धालुओं में महिलाओं द्वारा की जाने वाली कलश परिक्रमा के लिए हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। मंदिर कमेटी ने कलश परिक्रमा के लिए अलग से शिवलिग व मंदिर की स्थापना करवाई है। वहीं, मंदिर मे पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए सौ से ज्यादा बैरीकेड लगाए गए हैं ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो। इसके लिए जहां पुलिस बल के सैकड़ों जवान मौजूद रहेंगे वहीं एक हजार के करीब भोले बाबा की फौज के सेवादार भी हर वक्त मुस्तैद रहेंगे। मंदिर कमेटी की ओर से जहां सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं वहीं, श्रद्धालुओं के लिए समाज सेवी लोगों द्वारा सैकड़ो लंगर के स्टाल भी निश्शुल्क लगाए जाने की व्यवस्था की जा रही है। मंदिर कमेटी के सेवादार टिकू अरोड़ा ने बताया की मंदिर सभा की ओर से 24 घंटे तक लंगर की सेवा व मेडिकल सुविधा सुचारू रूप से चलती रहेगी। इसके लिए एक समय में पचास हजार श्रद्धालुओं के बैठने की भी व्यवस्था की गई है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नजदीकी गांववासियों द्वारा भी अपने घरों व खेतों में हर प्रकार की सुविधा देने के लिए पंडाल बनाए जा रहे हैं। यह सुविधा भी श्रद्धालुओं को निश्शुल्क दी जाएगी। टिकू अरोड़ा ने बताया कि मंदिर कमेटी व प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं की आस्था व समय को देखते हुए दंडवत करने वाले व वीआइपी लोगों के लिए अलग से रास्ता बनाकर मंदिर में प्रवेश करवाने की व्यवस्था बनाई गई है ताकि श्रद्धालुओं को कोई भी बाधा न पहुंचे। डीएसपी राजपुरा गुरबंस सिंह बैंस के मुताबिक नलास मंदिर में लगने वाले मेले को लेकर पुख्ता प्रबंध किए जाएंगे ताकि कोई अनहोनी न हो सके। ये है मंदिर का इतिहास स्वयं शिवलिग प्रकट हुआ था नलास में
राजपुरा से करीब आठ किलोमीटर दूर बसे गांव नलास में 550 वर्ष पुराना प्राचीन शिव मंदिर है। इसमें हर चौदस, महाशिवरात्रि व श्रावण माह में विशेष मेले का आयोजन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि शिव मंदिर नलास में किसी भी श्रद्धालु द्वारा शिवलिग स्थापित नही किया गया बल्कि स्वयं शिवलिग प्रकट हुआ था। गांव नलास में गुर्जरों के कुछ घर थे। उनके पास एक कपिला गाय थी। जब वह जंगल में चरने जाती थी तो घर लौटने से पहले एक झाड़ी के पीछे जाने से उसका दूध अपने आप थनों से बहना शुरू हो जाता था। वह थन खाली होने के बाद ही घर लौटती थी। एक दिन कपिला गाय के मालिक ने क्रोध में आकर उस झाड़ी की खुदाई आरंभ कर दी। खुदाई करते समय वहां निकले शिवलिग पर कस्सी के प्रहार से खून की धार बह निकली जिसे वहां पर उपस्थित लोगों ने देखा। कहा जाता है कि उस समय वट वृक्ष के नीचे स्वामी कर्मगिरि जी तपस्या कर रहे थे तो उनकी तपस्या भंग हो गई उन्होंने उस वक्त पटियाला रियासत के महाराजा कर्म सिंह को सारी बात बताकर उक्त जगह की खोदाई करवाई तो वहां पर शिवलिग प्रकट हुआ तो महाराजा पटियाला ने अपने हाथों से मंदिर बनवाया व महंत कर्मगिरि को मंदिर का महंत नियुक्त किया गया।
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