नील गाय के गर्भ से भगवान शंकर हुए थे अवतरित : पं. नरेश
श्री राज राजेश्वरी शिवमंदिर त्रिपड़ी टाउन में गो कथा के दौरान लोगों को शिव महिला का महत्व बताया।

जागरण संवाददाता, पटियाला : श्री राज राजेश्वरी शिवमंदिर त्रिपड़ी टाउन में गो कथा के दौरान आनंद मई गो महिमा का वर्णन करते हुए बयासपीठ से पंडित नरेश शर्मा बताया कि एक बार भगवान शंकर से ब्रह्म तेज संपन्न ऋषियों का कुछ अपराध हो गया। ऋषियों ने घोर शाप दे दिया जिसके भय से त्रस्त होकर शंकर जी गोलोक पहुंचे और पवित्र ब्राह्मणों के दूसरे रूप सुरभि माता का स्तवन करने लगे।
उन्होंने कहा सृष्टि, स्थिति और विनाश करने वाली, हे मां, तुम्हारे अतिरिक्त त्रिभुवन में कुछ भी नहीं है। मेरे खिलाफ नाराज होकर ब्राह्मणों ने जो शाप दिया है, उससे मेरा शरीर दुग्ध हुआ जा रहा है। तुम उसे शीतल करो इतना कहकर शंकर जी परिक्रमा करके सुरभि के देह में प्रवेश कर गए। सुरभि माता ने उन्हें अपने गर्भ में धारण कर लिया। इधर शिवजी के न होने से सारे जगत में हाहाकार मच गया। तब देवताओं ने स्तवन करके ब्राह्मणों को प्रसन्न किया और उससे पता लगा कर उस गोलोक में पहुंचे। गोलोक में उन्होंने सूर्य के समान तेजस्वी नील नामक गाय को देखा और भगवान शंकर उस वृषभ के रूप में सुरभि से अवतरित हुए थे।
पं. नरेश ने कहा कि जो मनुष्य गाय को पैरों से छूता है वह गाढ़े बंधनों में बंधकर भूख प्यास से पीड़ित होकर नर्क की यातना भोगता है और जो निर्दयी होकर तुम्हें पीड़ा पहुंचाता है वह शाश्वत गति मुक्ति को नहीं पाता। गोकथा में पहुंचे वर्धमान अस्पताल के एमडी सौरभ जैन, ओम प्रकाश गोगिया, ओम प्रकाश सचदेवा, कृष्ण शर्मा, गुरमुख गुरु व साथी सुखविदर सुखी, जसपाल सिंह, निर्मल अरोड़ा, लीना बहन, रानी बहन, सुमन बहन एवं अन्य भक्त पहुंचे।
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