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    कॉपी.. शिकार के शौकीन थे रेसलर सुखचैन

    सुरेश कामरा, पटियाला: सड़क हादसे में जान गंवाने वाले द्रोणाचार्य अवॉर्डी सुखचैन ¨सह शिका

    By JagranEdited By: Updated: Sat, 13 Jan 2018 03:14 AM (IST)
    कॉपी.. शिकार के शौकीन थे रेसलर सुखचैन

    सुरेश कामरा, पटियाला:

    सड़क हादसे में जान गंवाने वाले द्रोणाचार्य अवॉर्डी सुखचैन ¨सह शिकार के शौकीन थे। उनका घर एनआइएस व शीश महल के नजदीक है और कई साल पहले वहां का माहौल बीड़ जैसा था। उस दौरान सुखचैन ¨सह अक्सर शिकार के लिए निकल पड़ते थे। यह बात उनके साथ 38 साल तक रहकर पहलवानी करने वाले पहलवान व पावरकॉम से बतौर खेल अधिकारी रिटायर हुए गुरमुख ¨सह ने शेयर की ।

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    1986 में कोरिया में हुई एशियन गेम्स के रे¨स्लग इवेंट में ब्रांज मेडल, 1989 में जापान में हुई एशियन चैंपियनशिप में सिलवर व साउथ एशिया में गोल्ड सहित 1987 में जालंधर में 'भारत मल्ल सम्राट' का खिताब प्राप्त गुरमुख ¨सह ने बताया कि सुखचैन अकसर अपने शौक को पूरा करने के लिए बीड़ में शिकार करने चले जाते थे।

    गुरमुख ¨सह के मुताबिक सुखचैन ¨सह को फिल्मों में काम करने का भी शौक था और उन्होंने कुछ पंजाबी फिल्मों में रोल भी निभाया है। जब वे फिल्म में काम करते थे तो उस वक्त वे फिल्म के हीरो के साथ साइड हीरो या फिर विलेन का किरदार निभाते थे, उनके मन में इच्छा थी कि वे अपने प्रोडक्शन की पंजाबी फिल्म बनाएं और वे खुद उसमें हीरो बने। लेकिन, समय व घरेलू मजबूरियों ने यह इच्छा उनके मन में ही दबा दी।

    सुखचैन ¨सह का कद 6.2 फीट था जबकि उनके पुत्र पल¨वदर ¨सह चीमा का कद साढ़े छह फीट के करीब है । सुखचैन मिलनसार व अच्छे स्वभाव के मालिक थे। उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य यही बना लिया था कि वे देश के लिए कुछ पहलवान तैयार करें जो विदेशों में जाकर भारत का नाम रोशन करें। इसीलिए वे एनआइएस के समक्ष केसर बाग में अपने निवास के साथ फ्री स्टाइल कुश्ती सहित रेस्लर इवेंट के अखाड़े चला रहे थे।