पंजाब के किसान 6 दिसंबर से शुरू करेंगे दिल्ली के लिए पैदल यात्रा, अलर्ट मोड पर प्रशासन; अंबाला में लगी धारा 144
दिल्ली कूच को लेकर किसान अड़े हुए हैं। हरियाणा सरकार ने शंभू बॉर्डर पर धारा 144 लगा दी है। अंबाला प्रशासन ने किसान संगठनों को दिल्ली पुलिस से अनुमति लेने की सलाह दी है। किसान संगठनों ने कहा है कि वे अपने फैसले पर अडिग हैं। मरजीवाड़ा जत्था दिल्ली कूच की अगुआई करेगा। किसानों ने कहा है कि वे अपनी जान की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटेंगे।

जागरण संवाददाता, पटियाला। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) से जुड़े किसान संगठनों ने छह दिसंबर को शंभू बॉर्डर से पैदल दिल्ली कूच करने की तैयारियां तेज कर दी है।
हालांकि, हरियाणा सरकार सहमत नहीं है। अंबाला जिला प्रशासन ने शंभू बॉर्डर पर पंजाब सीमा के भीतर आकर आंदोलनस्थल पर एक नोटिस लगा दिया है कि अंबाला में धारा 144 लगाई गई है। अगर किसानों ने किसी समूह के रूप में जाना है तो किसान संगठनों को प्रदर्शन के लिए दिल्ली पुलिस की अनुमति लेना जरूरी है। इस बारे में अगर अनुमति ली है तो अंबाला प्रशासन को सूचित करें।
अंबाला प्रशासन की इस कार्रवाई पर किसान संगठनों ने कहा कि चाहे धारा 144 लगी होने का नोटिस लगा दिया गया। लेकिन किसान संगठन दिल्ली कूच के अपने फैसले पर अडिग हैं।
दिल्ली कूच के लिए तैयार किए जा रहे किसानों के जत्थों को मरजीवड़ा जत्था का नाम दिया है। इन जत्थों में शामिल होने वाले किसानों से ऑनलाइन फार्म भरवाए जा रहे हैं।
किसानों से भरवाए जा रहे फार्म
भारतीय किसान यूनियन (शहीद भगत सिंह) हरियाणा के प्रवक्ता तेजवीर सिंह पंजोखरा ने बताया कि फार्म भरने वाले किसान से यह शपथ भी ली जा रही है कि मांगों को पूरा करवाने के लिए वह अपनी जान की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटेगा।
किसान नेताओं ने कहा कि आंदोलन की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए ऑनलाइन फार्म भरवाए जा रहे हैं। इससे जनता और प्रशासन को पता चल सकेगा कि आंदोलन में किसान ही शामिल हैं, कोई आतंकी या हुड़दगी नहीं। मरजीवड़े जत्थे की भूमिका आगे बढ़ने की होगी फिर चाहे हरियाणा पुलिस गोली चलाए, आंसू गैस के गोले छोड़े या फिर रबड़ की गोलियां चलाए।
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उधर, अंबाला प्रशासन द्वारा चिपकाए गए नोटिस में किसान संगठनों से यह भी कहा गया है कि सड़क या किसी सार्वजनिक स्थल पर सभा बुलाने के लिए संबंधित पुलिस थाने के प्रभारी को लिखित सूचना दी जाए। इसके बाद उक्त पुलिस अधिकारी को लगता है कि आंदोलन या विरोध प्रदर्शन से शांति भंग हो सकती है तो वह उस पर रोक लगा सकता है।
अंबाला प्रशासन के इस नोटिस में किसान संगठनों से अपील की गई है कि वह विरोध प्रदर्शन बारे या पैदल जत्थों में दिल्ली जाने पर दोबारा विचार करें। दिल्ली पुलिस से इसकी अनुमति मिलने पर ही अगली कार्यवाही करें नहीं तो इस कार्यक्रम को स्थगित करें ताकि लॉ एंड ऑर्डर बना रहे।
दिल्ली कूच करने का कार्यक्रम जारी
दिल्ली कूच में शामिल होंगे 15 संगठन दूसरी ओर किसान संगठनों के दोनों फोरमों ने दिल्ली कूच करने का अपना प्रोग्राम जारी कर दिया है।
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने पहले दिन के जत्थे में शामिल होने वाली जत्थेबंदियों के नाम बताते हुए कहा कि बीकेयू बहरामके, बीकेयू एकता, बीकेयू क्रांतिकारी, बीकेयू दोआबा, बीकेयू शहीद भगत सिंह हरियाणा, किसान मजदूर हितकारी सभा, भारतीय किसान मजदूर मोर्चा पंजाब,आजाद किसान कमेटी दोआबा, इंडियन फार्मर एसोसिएशन, ग्रामीण किसान समिति राजस्थान,राष्ट्रीय किसान सभा एमपी बिहार, किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब समेत करीब 15 संगठन शामिल होंगे।
पंढेर ने कहा कि अंबाला एसपी को वह अपना सारा प्रोग्राम पिछले दिनों बता कर आए थे कि हम पैदल जाएंगे, सड़क को नहीं छोड़ेंगें। कहीं ट्रैफिक जाम नहीं करेंगे। जहां पर रात पड़ेगी वहीं विश्राम करेंगे।
उन्होंने कहा कि आगामी नौ दिसंबर को जो प्रधानमंत्री का हरियाणा में प्रोग्राम है, उस पर हमारा ध्यान नहीं है। हमारा ध्यान सिर्फ दिल्ली कूच को है।
खनौरी बॉर्डर पर डल्लेवाल का आमरण अनशन जारी
संगरूर जिले खनौरी बॉर्डर पर किसानों की मांगों के लेकर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन नौंवे दिन भी जारी रहा। बुधवार को एडीसी पटियाला नवरीत कौर, एसपी योगेश शर्मा भी जगजीत सिंह डल्लेवाल का हालचाल जानने पहुंचे।
मौके पर तैनात मेडिकल टीम ने डल्लेवाल के टेस्टों की रिपोर्टों की जानकारी देते हुए कहा कि उनका शुगर लेवल व बीपी स्थिर नहीं है। हर दिन कम या ज्यादा हो रहा है। आठ किलो से अधिक वजन कम हुआ। अन्न ग्रहण न करने से डल्लेवाल की लीवर व किडनी पर भी असर पड़ रहा है।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने माननीय उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का स्वागत करते कहा कि उपराष्ट्रपति ने किसानी मांगों पर मुहर लगाई है। उन्होंने कहा कि वह आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे। यह लड़ाई पंजाब की आने वाली पीढ़ियों के लिए लड़ी जा रही है।
किसानों की मांगें
- एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी।
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू हों।
- किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन।
- किसानों के कृषि ऋण माफ हों।
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 बहाल हो।
- 2020-21 में हुए किसान आंदोलन के दौरान मृत किसानों के परिवारों को मुआवजा मिले।
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