अलविदा कह गई देश की पहली सरस्वती अवार्डी महिला लेखिका डॉ. दलीप कौर टिवाणा
पटियाला देश की पहली सरस्वती अवार्डी महिला लेखिका डॉ. दलीप कौर टिवाणा शुक्रवार को हमेशा के लिए अलविदा कह गई। ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पटियाला : देश की पहली सरस्वती अवार्डी महिला लेखिका डॉ. दलीप कौर टिवाणा शुक्रवार को हमेशा के लिए अलविदा कह गई। करीब 20 दिनों से बीमार चल रही दलीप कौर टीवाणा का मैक्स अस्पताल में देहांत हो गया। साहित्यक होने के साथ-साथ उन्होंने लेखकों की आजादी के हक में मिला पद्मश्री अवॉर्ड कर दिया था। 2001 में सरस्वती सम्मान हासिल करने वाली डॉ. टीवाणा को शिक्षा और साहित्यक क्षेत्र में अहम योगदान के लिए 2004 में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया था। 2015 में देश में अल्पसंख्यकों पर हमले और लेखकों के आजादी संबंधी लहर का समर्थन करते हुए उन्होंने पद्मश्री सम्मान वापस करने का एलान किया था। उस समय डॉ. टीवाणा ने कहा था कि 'लेखक बेहद संवेदनशील होते हैं, उनकी भावनाओं की कलम से इतिहास रचा जाता है। डॉ. टीवाना का पंजाबी यूनिवर्सिटी से था गहरा रिश्ता डॉ. दलीप कौर टीवाणा पंजाबी यूनिवर्सिटी की स्थापना समय से ही पंजाबी विभाग से जुड़ी हुई थीं। उन्होंने इसी विभाग से अपना अध्यापन का सफर लेक्चरर के तौर पर शुरू किया, जहां वह 1983 से 1986 तक डिपार्टमेंट हेड के ओहदे पर रहीं। 1994 में पंजाबी विभाग से सेवानिवृत्त हुई, लेकिन पंजाबी यूनिवर्सिटी ने उनको आजीवन फैलोशिप समेत कैंपस में स्थाई निवास प्रदान किया, जिससे पंजाब और पंजाब के बाहर से पाठक, लेखक और विद्यार्थी उनके साथ संपर्क कर सकें। उनके घर के दरवाजे हमेशा आम पाठकों, विद्यार्थियों, खोजी और अध्यापकों के लिए खुले रहते थे। ये नावल रे चर्चा में अग्नि परीखेया, एहो हमारा जीवन, वाट हमारी, तिल्ली दा निशान, सूरज ते समुंद्र, दूसरी सीता, विद इन विद आउट, सरकंडों दे देस, धुप्प छा ते रुक्ख, सभ देस पराया, हे राम, लंबी उडारी, पीले पत्तेयां दी दास्तान, हस्ताखर, पैड़-चाल, रिण पित्तरां दा, अैर-वैर मिलदियां, लंघगए दरिया, जमीन पुच्छे आसमान नू, कथा कुकनोस दी, दुनिया सुहांवा बाग, कथा कहां उरवशी, बहुजल ओह तां परी सी, मोह माया, जन्म जूए हारिया, पौणा दी ¨जद मेरी, शायद, इक्क छोटी जेही खबर, चिड़िया दा मरन, तीन लोक से नियारी, माता धरत महात नॉवल चर्चा में रहे। बाल पुस्तकें पंज विच परमेश्वर, फुल्लां दियां कहाणियां, पंछीयां दा कहाणियां। 00 ऑटोबायोग्राफी नंगे पैरां दा सफर, टुट्देया-टुटदेया, पूछते हो तो सुनो, मेरी साहित्यिक स्वजीवनी। 00 साहित्यक लेख कहानी कला ते मेरा अनुभव, पंच प्रमुख कहानीकार, तेरे मेरे सारोकार, जियोण जोगे, आ लै सांभ कुंजीयां। 00 अंग्रेजी अनुवाद सच इज हर फेट, अजनरी बेअर फीट, गोन ऑर द रीवर्ज, टविलाइट, मार्क ऑफ नोज¨रग, द टेल ऑफ फयोनिक्स, टेल द टेल उर्वशी।

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