पटियाला की सेंट्रल जेल में बंद बलवंत सिंह राजोआणा ने शुरू की भूख हड़ताल, जेल अथॉरिटी ने खाने के लिए किया आग्रह
पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के कत्ल केस में फांसी की सजायाफ्ता बलवंत सिंह राजोआणा ने मंगलवार सुबह भूख हड़ताल शुरू कर दी और मंगलवार सुबह जेल अधिकारियों ने उन्हें खाने के लिए आग्रह किया व मनाने की कोशिश की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। आज सुबह उन्होंने जेल का खाना नहीं खाया और जेल अथॉरिटी के पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह अब भूख हड़ताल पर हैं।

जागरण संवाददाता, पटियाला। पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह (Former CM Beant Singh) के कत्ल केस में फांसी की सजायाफ्ता बलवंत सिंह राजोआणा ने मंगलवार सुबह भूख हड़ताल (Hunger Strike) शुरू कर दी। मंगलवार सुबह उन्होंने जेल का खाना नहीं खाया जिसके बाद अधिकारियों ने उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
जेल अथॉरिटी के अनुसार उन्होंने कई बार बलवंत सिंह राजोआणा को खाने के लिए आग्रह किया लेकिन उन्होंने कहा कि वह अब भूख हड़ताल शुरू कर चुके हैं। वही बलवंत सिंह राजोआणा द्वारा भूख हड़ताल किए जाने के बारे में पता लगते ही उनकी बहन कमलदीप कौर उनसे मिलने के लिए पटियाला के लिए निकल गईं।
राष्ट्रपति के पास भेजी थी याचिका
कमलदीप कौर ने कहा कि वह अपने भाई से मुलाकात के बाद ही कुछ कह पाएंगे। वह अपने भाई बलवंत सिंह राजोआणा का संदेश भी सांझा करेंगी। बता दे की बलवंत सिंह राजवाड़ा पहले अपनी फांसी की सजा को अमल करने की मांग कर रहे थे। लेकिन उसके बाद फांसी की सजा को उम्र कैद में बदलने के लिए राष्ट्रपति के पास याचिका भेजी थी और वहां से कोई रिस्पांस नहीं आया।
इस बात से खफा होकर बलवंत सिंह राजोआणा ने आज यानी 5 दिसंबर को भूख हड़ताल करने की घोषणा की थी। इस भूख हड़ताल को टालने के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी बीते दिनों उनसे मुलाकात करने आए थे लेकिन उनके आश्वासन के बाद भी भूख हड़ताल नहीं टली।
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अकाली दल को रोका था मिलने से
शिरोमणि अकाली दल के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया 4 दिसंबर को बलवंत सिंह राजोआणा से मिलने के लिए सेंट्रल जेल पटियाला पहुंचे थे। जिन्होंने दावा किया था कि उनके पास जेल के सीनियर अधिकारियों द्वारा लिखित में ली गई मंजूरी की कॉपी थी।
इसके बाद भी उन्हें सेंट्रल जेल पटियाला के अधिकारियों ने मुलाकात नहीं करने दी। सेंट्रल जेल पटियाला के अधिकारियों द्वारा मना किए जाने के बाद मजीठिया और उनके सभी सीनियर नेता वापस लौट गए थे।
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