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    नाभा जेल ब्रेक : सहायक सुपरिंटेंडेंट व जेल वार्डन थे शामिल, तीन गिरफ्तार

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Wed, 30 Nov 2016 04:36 PM (IST)

    नाभा जेल ब्रेेक मामलेे में जेल के अधिकारियों कीी मिलीभगत थी। इसमें सहायक सुपरिंटेंडेंट और हेडवार्डन भी शामिल थेे व उनको इसके लिए भारी रकम मिली थी।

    जेएनएन, चंडीगढ़। नाभा जेल पर हमला कर छह आतंकियों और गैंगस्टरों को छुड़ाने के मामले में बड़े खुलासे हाेे रहे हैं। विशेष जांच दल (एसअाइटी) ने पूरी साजिश का खुलासा करने का दावा किया है। एसआइटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नाभा जेल के सहायक सुपरिंटेंडेंट व जेल के हेड वार्डन भी पूरी साजिश में शामिल थे आैैर उन्होंने हमलावरों से मोटी रकम ली थी। पुलिस ने सहायक सुपरिंटेंडेंट व हेेड वार्डन सहित तीन कोे गिफ्तार कर लिया है।

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    हमलावरों व आतंकियोंं गैंगस्टरों की मदद करने वाले जेल वार्डर समेत तीन गिरफ्तार

    पुलिस ने नाभा जेल के सहायक सुपरिंटेंडेंट भीम सिंह, जेल के हेड वार्डन जगमीत सिंह व एक मिठाई विक्रेता तेजिंदर शर्मा उर्फ हैप्पी को गिरफ्तार किया है। हालांकि, जेल कर्मियों को एक दिन पहले ही पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया गया था। तीनों के खिलाफ हत्या के प्रयास व आतंकियों व गैंगस्टरों को भगाने की साजिश रचने के आरोप लगाए गए हैं ।

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    दो दिन पहले हमलावरों से मिलकर आया था सहायक जेल सुपरिंटेंडेंट, मोबाइल से संपर्क में था

    सहायक सुपरिंटेंडेंट भीम सिंह दो दिन पहले ही हमलावरों से मिला था और लगातार मोबाइल फोन पर उनके संपर्क में था। उसके फोन का इस्तेमाल साजिश रचने में किया गया। सारी साजिश जेल से 100 मीटर की दूरी पर स्थित हैप्पी की दुकान शगुन स्वीट्स में ही फाइनल हुई थी।


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    जेल अधिकारियों व गैंगस्टरों के बीच हुए लेन-देन में भी तेजिंदर की अहम भूमिका है। भीम सिंह की कई बार मोबाइल हमलावरों से बात हुई थी, जिसकी डिटेल उसके मोबाइल फोन से मिली हैं। वहीं, एसआइटी के अनुसार हैप्पी की के फोन से 60 दिनों में सबसे ज्यादा कॉल की गई हैं। दूसरी आेर, हैप्पी के पिता ने उसे फंसाने का आरोप लगाया है।

    कैदियों को भी मोबाइल फोन उपलब्ध करवाए

    एसएसपी गुरमीत सिंह चौहान के अनुसार तीनों से पूछताछ की जा रही है। इन्होंने ही आतंकियों व गैंगस्टरों को भागने में मदद की है। दोनों अधिकारी जेल के अंदर गैंगस्टर्स की हर प्रकार की मदद करते थे। उन्होंने कैदियों को मोबाइल फोन भी उपलब्ध करवाए थे। पुलिस की ओर से 30 लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में इन लोगों के नाम पहले से ही शामिल थे।

    मोटी रकम का लेन-देन


    एसआइटी की पूछताछ में आरोपियों ने साजिश में शामिल होने के बदले मोटी रकम के लेन-देन की बात स्वीकार की है। जांच टीम अभी इस बारे में ज्यादा बताने से इन्कार कर रही है। डीजीपी सुरेश अरोड़ा भी कह चुके हैं कि साजिश में संलिप्त लोगों के रिश्वत लेने से इन्कार नहीं किया जा सकता।

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    चार और की गिरफ्तारी संभव

    साजिश में एक पेस्को व दो आइआरबी के जवान के नाम भी शामिल हैं। इन्हें हिरासत में लिया गया है। सबूत मिलने पर इन्हें भी गिरफ्तार किए जाने की संभावना है। एसआइटी मोबाइल लोकेशन व कॉल डंप खंगालने के अलावा तीन माह के विजिटर रजिस्टर की भी पड़ताल कर रही है। जेल के बाहर से दो लोगों को हिरासत में लिया गया है।