नाम जप से बढ़ कर कोई भी साधना नहीं: अशोक शास्त्री
अशोक शास्त्री महाराज ने कहा कि नाम जप से बढ़ कर कोई भी साधना नहीं है। आवश्यकता है निष्ठा के साथ इसके जप की। ...और पढ़ें

संवाद सहयोगी, घरोटा: सतयुग में भगवान विष्णु के ध्यान से, त्रेता में यज्ञ से और द्वापर में पूजा अर्चना से जो फल मिलता है, वह कलियुग में भगवान के नाम जपने से प्राप्त हो जाता है। यह बात कथावाचक अशोक शास्त्री ने गांव पच्चोवाल में श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन प्रवचन करते हुए कही।
अशोक शास्त्री महाराज ने कहा कि नाम जप से बढ़ कर कोई भी साधना नहीं है। आवश्यकता है निष्ठा के साथ इसके जप की। भक्त शिरोमणि नारद, भक्त प्रहलाद, गणिका, ध्रुव, हनुमान अजामिल, केवट, भीलनी, शबरी ने भगवन नाम जप के द्वारा भगवात प्राप्ति की। मध्यकालीन भक्त और संत कवि सूरदास, तुलसी दास, संत कबीर दास, गुरू रविदास, पीपा जी महाराज, मीरबाई, सहजोबाई जैसे भक्तों ने जप योग करके संपूर्ण संसार को आत्म कल्याण का संदेश दिया है। मनुष्य भगवत प्राप्ति को जीवन का एक मात्र लक्ष्य समझें। अपनी निर्मल बुद्धि को भगवत प्राप्ति के साधनों के अनुष्ठान में लगाए। कभी अनर्थ-व्यर्थ का निश्चय एवं चितन न करे। इस मौके पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

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