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    अमृतसर-खेमकरण के बीच कई स्टेशन लावारिस

    तरनतारन : करीब सौ साल पहले अंग्रेजों ने अमृतसर-खेमकरण बीच रेल लाइन बिछाई थी। उस समय यह सेवा लोगों को खूब पसंद आई।

    By JagranEdited By: Updated: Mon, 04 Feb 2019 01:24 AM (IST)
    अमृतसर-खेमकरण के बीच कई स्टेशन लावारिस

    धर्मवीर सिंह मल्हार, तरनतारन : करीब सौ साल पहले अंग्रेजों ने अमृतसर-खेमकरण बीच रेल लाइन बिछाई थी। उस समय यह सेवा लोगों को खूब पसंद आई। लेकिन आतंकवाद के दौरान यह सेवा इस कदर प्रभावित हुई कि रोजाना आठ बार चलने वाली डीएमयू रेलवे के लिए घाटे का सौदा साबित होने लगी। वर्षो पहले रेलवे ने कई स्टेशनों के रखरखाव व टिकट वितरण का जिम्मा ग्रामीणों को ठेके पर सौंप दिया, परंतु अब ग्रामीणों ने भी रेलवे स्टेशनों से अपना मूंह मोड़ लिया है। जिसके कारण कई रेलवे स्टेशन वीरान और लावारिस हो रहे हैं।

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    पंजाब में जब आतंकवाद चरम था तो तरनतारन के गांव रुड़ेआसल में आतंकियों ने डीएमयू से निकालकर एक समुदाय के डेढ़ दर्जन लोगों की हत्या कर दी थी। इसके बाद सुरक्षा के मद्देनजर अ‌र्द्ध सैनिक बलों को स्टेशन पर तैनात किया गया था। उस समय कई रेलवे स्टेशनों से रेल बाबू अपने तबादले करवाकर चले गए। रेल सेवा चलती रहे, इसके लिए रेलवे ने गांव संगराना साहिब, गोहलवड़, दुख निवारण, रुड़ेआसल, जंडोके और बोपाराय के स्टेशनों का जिम्मा ग्रामीणों को सौंप दिया। रेलवे ने इन ग्रामीणों को बेची गई टिकटों का पंद्रह फीसद कमिशन देते उनको रेलवे स्टेशनों की सेवा संभाल भी दे दी, लेकिन रेलवे द्वारा टिकटों की चेकिंग ना करने और यात्रियों द्वारा मुफ्त में रेल सफर करने कारण टिकटों की बिक्री लगातार कम होती गई। जिसके कारण ग्रामीणों ने स्टेशनों से अपने हाथ खींच लिया। करीब आठ वर्ष तक गांव जंडोके के स्टेशन को चलाने वाले किसान ने अब ठेका लेना बंद कर दिया है। जिसके कारण गांव जंडोके का स्टेशन लावारिस होकर रह गया है। ग्रामीण गुरजीत सिंह और प्रितपाल सिंह ने बताया कि रेलवे द्वारा चेकर ना लगाए जाने कारण लोग मुफ्त में सफर करते हैं। अब यहां का रेलवे स्टेशन खंडहर बन चुका है। विभाग का फर्नीचर और अन्य सामान लावारिस हुआ पड़ा है। स्टेशन पर मुसाफिरों के बैठने लिए फर्नीचर और पीने के पानी तक का प्रबंध नहीं है।

    इन स्टेशनों से हो कर गुजरती है ट्रेन

    अमृतसर से चल कर खेमकरण बीच एक डीएमयू दिन में 8 बार अप-डाउन करती है। ये गाड़ी भक्तांवाला, संगराना साहिब, गोहलवड़, दुख निवारण, तरनतारन, रुड़ेआसल, जंडोके, कैरों, पट्टी, बोपाराय, घरियाला और रत्तोके के बाद खेमकरण पहुंचती है।

    स्टेशनों को बंद करनी की कोई योजना नहीं है : रवि शेर सिंह

    रेलवे स्टेशन तरनतारन के स्टेशन मास्टर रवि शेर सिंह ने कहा कि जिन स्टेशनों पर रेलवे को स्टाफ की कमी थी वहां पर ग्रामीणें को जिम्मेदारी सौप दी गई। अब ग्रामीणो ने इस सेवा से हाथ खींच लिए हैं। इसके बावजूद रेल सेवा जारी है। उन्होंने कहा कि रेलवे स्टेशनों को बंद करने की कोई योजना नहीं है।