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    तिरंगे में लिपटे पिता को निहारता रहा बेटा, फूट-फूट कर रो पड़े माता-पिता; पठानकोट पहुंचा बलिदानी का पार्थिव शरीर

    Updated: Fri, 01 Aug 2025 12:00 AM (IST)

    भारत-चीन बॉर्डर पर लद्दाख में सैन्य वाहन पर चट्टान गिरने से शहीद हुए लेफ्टिनेंट कर्नल भानु प्रताप सिंह मनकोटिया और नायक दलजीत सिंह का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। पार्थिव देह को लेह से पठानकोट एयरबेस लाया गया जहाँ से उनके निवास स्थान पर ले जाया गया। डेढ़ साल के बेटे ने अपने पिता के ताबूत पर फूल रखा।

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    तिरंगे में लिपटे पिता को निहारता रहा बेटा। फोटो जागरण

    जागरण टीम, पठानकोट/गुरदासपुर। भारत-चीन बॉर्डर पर लद्दाख में सैन्य वाहन पर चट्टान गिरने से बलिदान हुए 14 सिंध हॉर्स के लेफ्टिनेंट कर्नल भानु प्रताप सिंह मनकोटिया व नायक दलजीत सिंह का वीरवार को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया इससे पहले वीरवार दोपहर तिरंगे में लिपटी बलिदानी की पार्थिव देह को लेह से एयरलिफ्ट कर पठानकोट एयरबेस लाया गया।

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    यहां से फूलों से सुसज्जित सैन्य वाहन से अबरोल नगर स्थित उनके निवास स्थान लाया गया। बेटे की पार्थिव देह को देखकर मां सुनीता मनकोटिया, पिता रिटायर्ड कर्नल आरपीएस मनकोटिया फूट-फूट कर रो पड़े। पत्नी तारिणी मनकोटिया के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।

    डेढ़ साल के बेटे के सिर से पिता का साया उठ गया। बलिदानी का डेढ़ साल का बेटा व्योम कभी तिरंगे में लिपटी अपने बलिदानी पिता की देह को निहार रहा था तो कभी बिलखती मां को।

    वह इस बात से अंजान था कि उसके सिर से पिता का साया उठ चुका है। सभी पुष्प अर्पित करते देख जब उसने भी एक फूल बलिदानी पिता के ताबूत पर रखा तो यह दृश्य देख हर आंख नम हो उठी।

    जब भाई मेजर शौर्य प्रताप सिंह ने चिता को मुखाग्नि भेंट की तो श्मशान घाट भारत माता की जय, बलिदानी लेफ्टिनेंट भानू प्रताप अमर रहे के जयघोष से गूंज उठा। सुबह फोन पर कहा-पापा फायरिंग रेंज पर जा रहा हूं, शाम को आई बलिदान होने की खबर पिता कर्नल आरपीएस मनकोटिया ने नम आंखों से कहा कि उनकी कल सुबह ही बेटे से बात हुई थी।

    वह कह रहा था पापा फायरिंग रेंज पर जा रहा हूं। शाम को लौटकर फिर फोन करूंगा। फोन काल के साढ़े चार घंटे बाद ही बेटे के साथ यह हादसा हो गया। उन्हें क्या पता था कि यह बेटे के साथ आखिरी फोन काल होगी। उन्होंने कहा कि मुझे बेटे खोने का दुख तो बहुत है, पर उसके बलिदान पर गर्व भी है।