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    देववाणी संस्कृत के बिना भारतीय संस्कृति का ज्ञान अधूरा : मास्टर मोहन लाल

    मास्टर मोहन लाल ने कहा कि महंत रोहित शास्त्री देववाणी संस्कृत को प्रतिदिन अग्रसर कर रहे हैं। देववाणी संस्कृत के बिना भारतीय संस्कृति का ज्ञान अधूरा है। संस्कृत को जैसे लिखा जाता है वैसे ही पढ़ा जाता है यही इसकी विशेषता है।

    By JagranEdited By: Updated: Mon, 08 Nov 2021 05:49 PM (IST)
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    देववाणी संस्कृत के बिना भारतीय संस्कृति का ज्ञान अधूरा : मास्टर मोहन लाल

    संवाद सूत्र, मामून: सनातन धर्म पथ परिषद ने श्रीकैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री को सम्मानित किया। इस दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता मास्टर मोहन लाल मुख्यातिथि के रूप में उपस्थित रहे। मास्टर मोहन लाल ने कहा कि महंत रोहित शास्त्री देववाणी संस्कृत को प्रतिदिन अग्रसर कर रहे हैं। देववाणी संस्कृत के बिना भारतीय संस्कृति का ज्ञान अधूरा है। संस्कृत को जैसे लिखा जाता है वैसे ही पढ़ा जाता है, यही इसकी विशेषता है। संस्कृत भाषा के कई शब्द हिन्दी सहित अन्य कई भारतीय भाषाओं में भी प्रयोग किए जाते हैं। शब्दकोश संस्कृत से ही बढ़ता है। भाषा के माध्यम से ही मनुष्य सोचता है। इसलिए सोचने की भाषा को समृद्ध बनाने के लिए हमें महंत रोहित शास्त्री के दिखाए मार्ग पर चलना होगा।

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    सनातन धर्म पथ परषिद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य सतीश ने कहा कि महंत रोहित शास्त्री एवं उनके परिवार का भारत में संस्कृत भाषा के संवर्धन व विकास में अमूल्य योगदान रहा है। देववाणी संस्कृत भाषा को अग्रसर करने में महंत रोहित शास्त्री का समर्पण सुप्रसिद्ध है। युवा पीढ़ी भी महंत रोहित शास्त्री का अनुसरण कर प्रदेश एवं राष्ट्र संस्कृति संरक्षण में अपना योगदान दें। इस अवसर पर परिषद के संस्थापक राकेश शास्त्री, केन्द्रीय अध्यक्ष आचार्य सतीश शास्त्री, विश्व कुमार शर्मा, श्रीरूप लाल शास्त्री, पंडित मणिकरण, शाम लाल, रवि शर्मा आदि उपस्थित रहे।