क्रिकेट की शुरुआत की तो बस सपने थे, मेहनत से पाया मुकाम
वर्तमान समय में बच्चे खेलों को छोड़कर वीडियो गेम्स को तरजीह दे रहे हैं।
राज चौधरी, पठानकोट : वर्तमान समय में बच्चे खेलों को छोड़कर वीडियो गेम्स को तरजीह दे रहे हैं। यही कारण है कि विद्यार्थी लगातार मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर हो रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि वह अपना अधिक समय शिक्षा के साथ-साथ ग्राउंड में बिताएं। तभी देश का भविष्य स्वस्थ और उज्जवल हो सकेगा। ये बात पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने पठानकोट के प्रताप वर्ल्ड स्कूल में अपने दौरे के दौरान कही।
हरभजन सिंह भज्जी पठानकोट में पहली इंटरनेशनल क्रिकेट अकेडमी एचएसआइसीए (हरभजन सिंह इंस्टीटयूट्स ऑफ क्रिकेट अकेडमी) का शुभारंभ करने आए हुए थे। उन्होंने दैनिक जागरण के साथ अपने विचार भी सांझा किए। हरभजन सिंह ने बताया कि पठानकोट में खोली गई क्रिकेट अकादमी इसलिए पहलू से भी खास तौर पर महत्वपूर्ण हैं। हरभजन ने ये बात भी स्पष्ट की कि जब भी वह पंजाब में मौजूद होंगे, हर हाल में वह इस अकादमी का दौरा करेंगे तथा बच्चों को क्रिकेट के टिप्स देंगे।
उन्होंने कहा कि इस समय देश भर में उनकी सात अकादमी चल रही हैं । फिलहाल एक भी अकादमी हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर में शुरू नहीं की गई, जिस कारण ही उन्हें पठानकोट पूरी तरह से सही स्थल लगा।
पंजाब में नशे के सवाल पर हरभजन सिंह ने कहा कि नशा करना है तो खेलों का करें। खेलों का नशा करने वालों के पास बहुल विकल्प हैं, कोई क्रिकेट का करे, कोई फुटबाल तो हॉकी का नशा करे।
चार एकड़ जमीन पर तैयार किया गया है ग्राउंड
हरभजन सिंह ने प्रताप वर्ल्ड स्कूल में जिस जगह पर इस अकादमी को खोला है वह चार एकड़ में फैली हुई है। इस अकादमी में क्रिकेट की प्रेक्टिस के लिए बढि़या मशीनें उपलब्ध हैं, जिनकी बदौलत खिलाड़ियों को अधिक तकनीक सीखने को मिलेगी। हरभजन सिंह ने कहा कि इस स्कूल में पंजाब के विभिन्न हिस्सों सहित हिमाचल प्रदेश, जेएंडके, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश राज्यों के विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। ये अकादमी देश के विभिन्न कोनों से टैलेंट को इकट्ठा कर भारतीय टीम को और भी मजबूती प्रदान करेगी।
क्रिकेट की शुरूआत की तो बस सपने थे, मेहनत से पाया मुकाम : हरभजन सिंह
हरभजन सिंह ने कहा कि जब उन्होंने करियर की शुरुआत की थी तो बस उनके पास कुछ सपने थे। लगातार मेहनत की। जज्बा बनाए रखा और एक दिन इसकी बदौलत भारतीय टीम का हिस्सा बनें। टैलेंट ही खिलाड़ी को आगे ले जाता है। बस कोच का कहा माना और आज यहां खड़ा हूं।
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