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    10 टन पेड़ के पीछे पांच साल बाद मिलेंगे पांच हजार रुपये

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 27 Feb 2021 07:00 AM (IST)

    पर्यावरण सरंक्षण व जलवायु को बचाने के लिए जिले के किसान अपने पेड़ नहीं काटे।

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    10 टन पेड़ के पीछे पांच साल बाद मिलेंगे पांच हजार रुपये

    संवाद सहयोगी, पठानकोट : पर्यावरण सरंक्षण व जलवायु को बचाने के लिए जिले के किसान अपने पेड़ नहीं काटे। ऐसा करने वाले किसानों को पंजाब सरकार व द एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट दिल्ली (टेरी) पांच साल बाद पांच-पांच हजार रुपये देगी। टेरी व वन विभाग की ओर से संयुक्त रूप से इस योजना को शुरू किये जाने का एकमात्र उद्देश्य पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखना, लकड़ी की मांग को पूरा करना व जलवायु के संतुलन को बनाए रखना है। दिल्ली के विज्ञानियों द्वारा इस संबंधी शुक्रवार को जिलेभर के किसानों के साथ मीटिग कर उनकी फीडबैक ली गई। इस दौरान एक सौ से अधिक किसानों ने टेरी व पंजाब सरकार द्वारा शुरू इस योजना पर हामी भरी। अब इन किसानों को पूरी तरह से ट्रेनिग देने के लिए टेरी के विज्ञानियों की एक टीम मार्च में जिले का दौरा कर सकती है।

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    पंजाब के इन पांच जिलों को किया गया चयनित

    टेरी के विज्ञानियों व वन विभाग की ओर से अर्ध पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित पंजाब के पांच जिलों का चयन किया गया है। इस चयन में पठानकोट, होशियारपुर, दसूहा, नवांशहर व रूपनगर विशेष रूप से शामिल हैं। टेरी के सीनियर विज्ञानी शाईद बाली व डीएफओ डाक्टर संजीव तिवारी ने कहा कि इस स्कीम के तहत जिन किसानों ने 2017 के बाद वृक्षारोपण किया गया है और वे पांच साल तब अपना पेड़ नहीं काटते तो उन्हें कार्बन क्रेडिट बेचने के एवज में 10 टन पेड़ के लिए पांच हजार रुपये प्रति पांच साल बाद मिलेंगे। इससे वे अपनी खेतीबाड़ी आदमनी को पूरा कर सकते हैं। ये धनराशि लेने के बाद यदि कोई किसान अपना पेड़ कटवाना चाहे तो वे अपनी स्वइच्छा से कटवा सकता है।

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    छोटे किसानों को मिलेगा अच्छा लाभ : शाईद बाली

    द एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट दिल्ली के वरिष्ठ विज्ञानी शाईद बाली ने बताया कि जिलेभर के छोटे किसानों को कार्बन क्रेडिट बेचने के बदले उन्हें अच्छा वित्तीय लाभ मिल सकेगा। ये स्वइच्छित प्रोजेक्ट हैं। इसमें किसानों को साथ लेकर सस्टेनेबल एग्रोफोर्सटी को उत्साहित करना है। किसानों के साथ पहली बैठक में उनकी फीडबैक ली गई है। जिलेभर के एक सौ से अधिक किसानों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है। इन किसानों को अब ट्रेनिग देने के लिए दिल्ली से विज्ञानियों की एक टीम आगामी माह पठानकोट का दौरा करेगी।