लेबर कार्ड बनाने की फीस 145, वसूल रहे 250 रुपये
क्रासर- हैरानी..पंजाब सरकार की योजना का लाभ मजदूरों को देने के लिए सरकारी अधिकारी यूनियन नेताओं के स
क्रासर- हैरानी..पंजाब सरकार की योजना का लाभ मजदूरों को देने के लिए सरकारी अधिकारी यूनियन नेताओं के साथ मिलीभगत कर, मजदूरों से कर रहे सरकारी फीस से अधिक वसूली।
ढिंढोरा पीटने वाले,मजदूरों के मसीहों का कड़वा सच..
राजकुमार राजू,पठानकोट
यह कैसी भलाई..मजदूर के खून पसीने से हो रही डबल कमाई। मजदूरों को लाभ पहुंचाने के लिए पंजाब सरकार ने विभिन्न योजनाओं का पिटारा खोल रखा है। पर सरकारी लेबर अधिकारियों की आड़ में किस प्रकार गरीब जनता का शोषण कर मजदूरों का खून निचोड़ रहे है। उसका कड़वा सच डलहौजी रोड स्थित एक यूनियन कार्यालय में देखने को मिला। यहां मजदूरों से लेबर कार्ड बनवाने के लिए अवैध वसूली की जाती है।
कचहरी के निकट खुले इस दफ्तर में सरकारी योजनाओ का लाभ लेने के लिए मजदूरों की खासी भीड़ कार्ड बनवाने के लिए जमा थी। लेबर अधिकारी मजदूरों के फार्म भर रहे थे।
इस दौरान लेबर इंस्पेक्टर की मौजूदगी में मजदूरों से लेबर कार्ड बनाने हेतु सरकारी फीस से 100 रुपये अधिक वसूली की जा रही थी। हालांकि सरकार की ओर से लेबर कार्ड बनाने की असल में फीस 145 रुपये निधार्रित की गई है। पर यहां 145 के बजाय 250 रुपये प्रति मजदूर लिए जा रहे हैं। मजदूर हरि सिंह व राकेश कुमार ने बताया कि लेबर कार्ड बनवाने की सरकारी फीस के बारे में उन्हें नहीं पता। उन्हें तो यूनियन नेताओं की तरफ से 145 रुपयों के अलावा 5 रुपये ड्राफ्ट बनवाने के और 50-50 की पर्चियां थमाकर 100 रुपये यूनियन खाते में डालने के नाम पर लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह पहले मजदूरी करके अपने परिवार का बड़ी मुश्किल से पेट पाल रहे है। पर हैरानी है कि यूनियन नेताओं के साथ-साथ सरकार भी उनसे धक्केशाही कर रही है।
यूनियन नेता पैसे ले रहे, तो मैं कुछ नहीं कर सकती : लेबर इंस्पेक्टर
इस संदर्भ में लेबर इंस्पेक्टर परमजीत कौर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बेशक सरकारी फीस 145 रुपये ही है और वही ली जानी चाहिए। अगर यूनियन के नेता अपने तौर पर अधिक वसूली कर रहे है तो इसके बारे में मैं कुछ नहीं कह सकती।
व्यापार मंडल ने वसूली को ठहराया गलत
इधर शहर के बुद्धिजीवियों में व्यापार मंडल पठानकोट के प्रधान भारत महाजन,चेयरमैन राजेश शर्मा, चाचा वेद प्रकाश महाजन,एलआर सोढी इत्यादि की माने तो सरकारी योजनाओं का लाभ किसी यूनियन के दफतर में बैठकर मजदूरों से वसूली करवाना सरासर गलत है। पंजाब सरकार की योजना का लाभ ओपन रूप में विभिन्न वार्डो में जाकर लेबर अधिकारियों द्वारा जनता को देना चाहिए। मजदूरों के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त ऐसे सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए जो किसी यूनियन के साथ मिलीभगत कर मजदूरों से अवैध वसूली करवा रही है।
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