नवांशहर में रात भर हुई तेज वर्षा और आंधी से उखड़े पेड़, फसलों को भारी नुकसान
बलाचौर और आसपास के गांवों में रुक-रुक कर हुई बारिश शनिवार देररात से और तेज हो गई। इससे मौसम में अचानक बदलाव आ गया। तेज वर्षा से शहर की सड़कों पर जलभराव हो गया। इससे लोगों का अपने घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया।
संवाद सहयोगी, बलाचौर। बलाचौर और आसपास के गांवों में रुक-रुक कर हुई बारिश शनिवार देररात से और तेज हो गई। इससे मौसम में अचानक बदलाव आ गया। मौसम के इस बदलाव से जहां लोगों को गर्मी से राहत मिली वहीं कई स्थानों पर तेज वर्षा और आंधी से जनजीवन भी अस्त-व्यस्त हो गया। तेज वर्षा से शहर की सड़कों पर जलभराव हो गया। इससे लोगों का अपने घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया। शहर के कई जगहों पर पेड़ भी उखड़ गए जबकि किसी भी अप्रिय घटना से बचाव रहा।
बलाचौर के विभिन्न वार्डों की गोलियों और सड़कों में पानी भरकर गड्ढे बन गए और घुटने भर पानी खड़े रहने से राहगीरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। लोगों का कहना है कि भले ही अलग-अलग सरकारों के कार्यकाल में शहर के विकास और पानी की निकासी के लिए करोड़ों रुपये का अनुदान दिया गया हो, लेकिन इसके बावजूद बारिश के पानी की निकासी कहीं नजर नहीं आ रही है। वर्षा का दबाव बढ़ने से सीवर के मेन होल से पानी ओवरफ्लो हो गया और गंदगी के साथ गंदा पानी निकलकर सड़कों के पानी में तैरता नजर आया और बारिश से कई नई बनी गलियों को भारी नुकसान हुआ।
दो दिनों से हो रही इस बेमौसम बारिश से बीती रात आई तेज हवा ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। किसानों ने कर्ज लेकर कड़ी मेहनत कर इस धान की फसल को बच्चों की तरह तैयार कर पका कर तैयार कर लिया, लेकिन खराब मौसम के चलते किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं। देखा जाए तो उपमंडल बलाचौर के कई गांवों में चीनी वायरस ने धान को अपनी चपेट में ले लिया है, ऊपर से खराब मौसम ने बचे हुई फसल को भी खराब कर दिया है।
भारतीय किसान यूनियन लखोवाल जिलाध्यक्ष अवतार सिंह साहदड़ा, उपाध्यक्ष त्रलोचन सिंह रक्कड़, संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक कर्ण सिंह राणा, हरपाल सिंह मक्कोवाल, कोमी किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष निर्मल सिंह औजला, उपाध्यक्ष हरविंदर सिंह चाहल और पार्षद सोढ़ी सिंह मेहिंदीपुर ने कहा कि किसान किस दौर से गुजर रहे हैं यह किसी से छिपा नहीं है।
हर बार किसानों के सामने कोई न कोई नया खतरा होता है। किसानों की इस विकट परिस्थिति में राज्य सरकार किसानों की सार लेने के लिए कोई अच्छी नीति बनानी चाहिए। सभी किसानों की क्षतिग्रस्त फसलों के लिए पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए।