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    Punjab News: करतारपुर साहिब के दर्शन कर जत्था लौटा, भारी सर्दी के बावजूद भी उत्साह नहीं हुआ कम; गुरु नानक साहिब को भी दिया धन्यवाद

    By Jagran News Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Mon, 01 Jan 2024 05:00 AM (IST)

    गुरुनानक मिशन सेवा सोसायटी की ओर से गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब करतारपुर साहिब (पाकिस्तान) के दर्शन के लिए भेजा गया 87 सदस्यीय संगत का 26वां जत्था देर रात लौट आया। यह जानकारी देते हुए गुरु नानक मिशन सेवा सोसायटी के मुख्य सेवादार सुरजीत सिंह ने बताया कि पिछले दो माह से सोसायटी की ओर से छह टीमें इस यात्रा के लिए भेजी गई हैं।

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    करतारपुर साहिब के दर्शन कर जत्था लौटा, भारी सर्दी के बावजूद भी उत्साह नहीं हुआ कम

    जागरण संवाददाता, नवांशहर। गुरुनानक मिशन सेवा सोसायटी की ओर से गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब करतारपुर साहिब (पाकिस्तान) के दर्शन के लिए भेजा गया 87 सदस्यीय संगत का 26वां जत्था देर रात लौट आया।यह जानकारी देते हुए गुरु नानक मिशन सेवा सोसायटी के मुख्य सेवादार सुरजीत सिंह ने बताया कि पिछले दो माह से सोसायटी की ओर से छह टीमें इस यात्रा के लिए भेजी गई हैं।

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    इसके अलावा इस अवधि में एक सौ से अधिक लोगों ने सोसायटी के माध्यम से पंजीकरण करवाकर अपने निजी वाहनों से इस पवित्र स्थान के दर्शन किए हैं। भारी सर्दी के बावजूद संगत के उत्साह को देखते हुए आने वाले दिनों में एक जनवरी और 21 जनवरी को संगत के और जत्थे इस यात्रा के लिए भेजे जा रहे हैं। संस्था की ओर से अब तक कुल 26 जत्थे भेजे जा चुके हैं।

    जत्थे के सभी सदस्यों ने यहां भी टेका मत्था

    उन्होंने कहा कि करतारपुर साहिब जी की तीर्थयात्रा पर गया 87 सदस्यों का यह जत्था गुरुद्वारा बाबा बकाला के दर्शन करने के बाद डेरा बाबा नानक टर्मिनल के माध्यम से सीमा पार कर पाकिस्तान में प्रवेश कर गया। जत्थे के सभी सदस्यों ने गुरुद्वारा दरबार साहिब में माथा टेका और गुरु नानक देव महाराज की याद में बने गुरुद्वारा अंगीठा साहिब, गुरुद्वारा मजार साहिब, खूह साहिब और गुरुद्वारा साहिब का दौरा किया।

    गुरु नानक साहिब को धन्यवाद दिया

    गुरु दरबार साहिब में कीर्तन सुनने के बाद संगतों ने अरदास में शामिल हुए और बिना वीजा के खुले दर्शन देने के लिए गुरु नानक साहिब को धन्यवाद दिया। इस मौके पर अब सुरजीत सिंह ने बताया कि हर यात्रा के दौरान संगतों के लिए सुबह के नाश्ता और रात के खाने का विशेष इंतजाम किया जाता है।

    इस जत्थे में नवांशहर, राहों, बंगा, दौलतपुर, सुजावलपुर, साहबपुर, रक्कड़ ढाहां, हियाला, हंसरों, कंग, उड़ापड़, लंगडोआ, सूरापुर, काहमा, भूतां, रूड़की खास, बाहड़ मजारा, पटियाला आदि की संगत भी शामिल थीं।