रेफल सेंटर बना जिला अस्पताल, डाक्टर से लेकर कर्मचारी तककी कमी
सुशील पांडे नवांशहर जिले में अस्पतालों की इमारतों को तो भव्य बना दिया गया पर संसाधन व
सुशील पांडे, नवांशहर : जिले में अस्पतालों की इमारतों को तो भव्य बना दिया गया, पर संसाधन व स्टाफ पूरा करने के लिए किसी भी सरकार की ओर से ध्यान नहीं दिया गया। यही कारण रहा कि बलाचौर के अस्पताल में एंबुलेंस होने पर ड्राइवर की कमी के कारण एक गर्भवती महिला की मौत हो गई। बेशक जिले के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की ओर से प्रदेश के स्वास्थय विभाग के अधिकारियों को स्टाफ व संसाधनों को पूरा करवाने के लिए कई बार लिखा जाता रहा है, पर इसे स्वास्थय विभाग के उच्च अधिकारियों की ओर से बेहद हलके में लिया जाता रहा है। जिले का 18 करोड़ की अस्पताल महज रेफरल सेंटर बन कर रह गया है।
नवांशहर के जिला अस्पताल के इमरजेंसी मेडिकल अफसरों के 10 पद हैं। जिनमें से दो पद ही भरे हुए हैं जबकि दो पद खाली पड़े हैं। एमओ विशेषज्ञों के सात पद हैं, जिनमें से चार पद खाली हैं। अर्बन पीएचसी में मेडिकल अफसर का पद खाली है। स्टफा नर्सों की आठ पद खाली हैं। एमएलटी की एक पोस्ट खाली है। क्लर्क के दो पद खाली हैं। अकाउंटेंट की पोस्ट खाली है। स्टेटिकल असिस्टेंट का एक पद खाली है। हाउस सर्जन के चार पद खाली हैं। ड्राइवर की एक पोस्ट खाली है। दर्जा चार कर्मचारियों की अस्पताल में 26 पद हैं जिनमें से 20 पद खाली है। सफाई कर्मचारी के सात पद हैं जिनमें से चार खाली हैं। आइसीयू में सफाई कर्मचारियों के तीन पद हैं। तीनों ही खाली हैं। बच्चों के माहिर डाक्टरों के चार पद हैं चारों पद खाली पड़े हैं। बेहोशी के टीके लगाने वाले डाक्टरों के चार पद हैं। जिनमें से दो भरे हुए है तथा दो खाली हैं। वहीं स्कैन करने वाला रेडियोलोजिस्ट तक नहीं है। अस्पताल में मनोरोगों के डाक्टर के दो पद हैं पर एक ही भरा हुआ है।
किडनी की बीमारियों के कई मरीज सरकारी अस्पतालों में इलाज करवाने के लिए आते हैं, क्योंकि निजी अस्पतालों में इसका इलाज बेहद मंहगा है। डायलिसिस की मशीन तो है पर विशेषज्ञ डाक्टर न होने से मरीजों को अंत में बाहर ही जाना पड़ता है। अस्पताल में डायलिसिस भी की जाती है पर अगर नेफ्रोलाजी को मिला लिया जाए तो आखिरी स्टेज पर पहुंचे किडनी के मरीज के लोगों को बढि़या इलाज मिल सकता है। वेंटीलेटर हैं पर आपरेटर नहीं
वेंटिलेटरों की संख्या 10 है। इन्हें चलाने के लिए 12 कर्मचारी होना चाहिए। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस आइसीयू में वेंटीलेटर, पाइप मशीन, हाइफ्लोर नोजल आक्सीजन मशीन इत्यादि की सुविधा तो उपलब्ध है, पर इन्हें आपरेट करने के लिए स्टाफ नहीं है। अस्पताल में आइसीयू की सुविधा शुरू हो गई है, जोकि पहले नहीं थी। अभी चार स्टाफ सदस्य ही वेंटीलेटर चलाने के लिए मिले हैं।
जबकि इस बारे में एसएमओ डा. मनदीप कमल का कहना है कि अस्पताल में स्टाफ के बारे में कई बार विभाग के उच्च अधिकारियों को लिखा गया है, उन्होंने कहा कि कम स्टाफ के कारण अस्पताल चलाने के लिए उन्हें खुद परेशानी हो रही है। उम्मीद है कि इस बार अस्पातल को पूरा स्टाफ मिल जाए।
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