नवांशहर पंचायत चुनाव में कांग्रेस की बंपर जीत, विधानसभा चुनाव से पहे बढ़ी AAP की चिंता
नवांशहर में जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों के नतीजों के बाद कांग्रेस उत्साहित है, जबकि आप की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कांग्रेस ने जिला परिषद की 10 मे ...और पढ़ें
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परिणामों के बाद शिअद, बसपा व भाजपा के वजूद पर गहराए संकट के बादल (फोटो: जागरण)
महेंद्र घणघस, नवांशहर। जिला परिषद व पंचायत समिति चुनावों के परिणामों के बाद जहां कांग्रेस अपनी जीत को लेकर गदगद दिख रही है वहीं आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
यह चुनाव विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा था। यानि अब परिणाम के बाद इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि फाइनल मुकाबला कांग्रेस और आप के बीच ही होगा।
क्योंकि शिअद, बसपा व भाजपा ने काफी पिछड़ी हुई पार्टी के रूप में प्रदर्शन किया है। अब विधानसभा चुनावों को लेकर जहां कांग्रेस अपनी जमीन तैयार करने में कामयाब रही वहीं अपने प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए सत्तारूढ आम आदमी पार्टी को अगले एक साल तक ऐडी-चोटी का जोर लगाना होगा।
बीते दिन ग्रामीण आंचल के चुनावों का जैसे ही परिणाम आया तो राजनीतिक समीकरणों के गुणाभाग की चर्चाएं हर गलियारे में सुनने को मिलने लगी हैं।
कांग्रेस ने जिला में जिला परिषद की 10 में 6 सीटें व पंचायत समिति की 82 में से 33 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी होने का प्रमाण दिया है वहीं सत्ता का सुख भोग रही आम आदमी पार्टी ने पिछड़ने के कारणों की तलाश पर काम करने का मन बना लिया है।
क्योंकि विधानसभा चुनावों में करीब एक साल शेष है ऐसे में ये परिणाम विधानसभा चुनावों को प्रभावित करने में अहम रहेंगे ऐसी संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।
जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्रों कांग्रेस पार्टी का एक भी विधायक न होते हुए भी आप को पछाड़ने में सफल रही इससे जाहिर है कि जनता का झुकाव कांग्रेस की तरफ बढ़ना शुरू हो गया है।
जनता के बढ़ रहे कांग्रेस के मोह को कम करने के लिए आम आदमी पार्टी को विशेष रणनीति के तहत एक साल तक ताकत लगानी होगी अन्यथा विधानसभा के परिणाम इससे भी गंभीर आ सकते हैं।
बलाचौर विधान सभा से आम आदमी पार्टी की तीन में एक सीट ही आना पार्टी के प्रति लोगोंं की निराशा का संकेत है। इसी प्रकार नवांशहर की सभी तीनों सीटें कांग्रेस के खाते में चली जाने से आप के लिए बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा होने के संकेत से कम नहीं है।
जिला परिषद व पंचायत समिति चुनावों में शिअद, बसपा व भाजपा का प्रदर्शन इस कद्र नहीं रहा कि विधानसभा चुनावों में फाइनल खेलने की स्थिति में पहुंच सकें। यानि दूसरे नंबर पर भी नहीं रहने से इन पार्टियों की उपस्थिति जनता के बीच बेहतर नहीं रही।
शिअद, बसपा व भाजपा को विधानसभा चुनावों की जमीन तैयार में करने में कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी अन्यथा कांग्रेस व आम आदमी पार्टी इनके अस्तित्व के खतरा बन जाएंगी। जिला परिषद की 10 सीटों में से उक्त तीनों पार्टियों का खाता भी न खुलना इस बात का प्रमाण है कि जनता का इनसे मोह निरंतर भंग होता जा रहा है।
पंचायत समिति की 82 सीटों में से शिअद महज 9 पर तो बसपा 7 सीटों पर सिमट गई। यहां तक कि देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा का पंचायत समिति में खाता न खुल पाना हैरत की बात है।
कुल मिला कर कहा जा सकता है कि शिअद, बसपा व भाजपा पर छाए संकट के बादल अभी छंटते नहीं दिख रहे। आगामी विधानसभा चुनावों में कोई चमत्कार हो जाए तो कुछ कहा नहीं कहा जा सकता। बहराल देखना यह है कि ऊंट किस करवट बैठता है।

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