नवांशहर की सड़कें बनीं गोवंश का अड्डा, हर पल मंडरा रहा दुर्घटना का खतरा; कहां सोया प्रशासन?
नवांशहर में सड़कों पर बेसहारा गोवंश यातायात और जन सुरक्षा के लिए खतरा बन गए हैं। सड़क पर पशुओं के रहने से दुर्घटनाएं होती हैं, जो प्रशासनिक विफलता और ...और पढ़ें

नवांशहर में सड़कों पर बेसहारा घूमते गोवंश यातायात और जन सुरक्षा के लिए खतरा बन गए हैं (फोटो: जागरण)
वासदेव परदेसी, नवांशहर। सड़कों पर बेसहारा घूमते गोवंश यातायात व जन सुरक्षा के लिए खतरनाक हैं। गोवंश का सड़क पर रहना न सिर्फ दुर्घटना को जन्म देता है, बल्कि यह प्रशासनिक विफलता व सामाजिक असंवेदनशीलता भी है। कई हादसे सड़क पर पशुओं के टकराने से ही होते हैं।
शहर निवासी प्रदीप चांदला का कहना है कि सड़क पर अचानक पशुओं के आ जाने से वाहन चालकों को ब्रेक लगानी पड़ती हैं, जिससे पीछे से आने वाले वाहनों के टकराने की संभावना बढ़ जाती है। चालक अचानक सामने पशु को देखकर नियंत्रण खो बैठते हैं। रात में गाय या बैल सड़क के बीच में बैठे मिलते हैं। दौड़ रहे वाहनों के लिए ये अप्रत्याशित अवरोध बन जाते हैं।
समाज सेवी परविंदर बत्रा का कहना है कि सड़कों पर पशुओं के रहने के कई कारण हैं। कई पशुपालक दूध देना बंद करने पर गायों को छोड़ देते हैं। नगर कौंसिल व गांव पंचायतें भी गोवंश की देखरेख को प्राथमिकता नहीं देती हैं। लोग इन्हें पूज्य समझकर कुछ कहने से कतराते हैं, परंतु इनकी सुरक्षा पर ध्यान नहीं देते।
समाज सेवी बहादुर चंद अरोड़ा का कहना है कि किसी भी नीतिगत कदम को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाए बिना संतुलित करना आवश्यक है। गौशालाओं की स्थापना, प्रबंधन में सुधार, पशुपालकों की पहचान, सड़कों पर सीसीटीवी और ट्रैकिंग तकनीक से निगरानी रखकर इन पशुओं को सड़कों पर आने से रोका जा सकता है।
समाज सेवी राजीव कुमार बोबी का कहना है कि सड़कों पर घूमता गोवंश सिर्फ धार्मिक या सांस्कृतिक विषय नहीं है, बल्कि यह बहुआयामी सामाजिक चुनौती बन चुका है। इस समस्या का समाधान समाज, प्रशासन और शासन के सामूहिक प्रयास से ही संभव है। यदि इसे गंभीरता से नहीं लिया गया तो यह आने वाले वर्षों में और जटिल व खतरनाक रूप ले सकता है।

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