ट्रेकोमा रोग की पहचान करेंगी आशा वर्कर : डा. गीतांजली
सीनियर मेडिकल अफसर डा. गीतांजली सिंह की अगुवाई में कम्युनिटी हेल्थ सेंटर राहों में ट्रेकोमा(कुकरे) रोग की पहचान करने के लिए सर्वे करने संबंधी आशा वर्करों की प्रशिक्षण दिया गया।

जागरण संवाददाता, नवांशहर : सीनियर मेडिकल अफसर डा. गीतांजली सिंह की अगुवाई में कम्युनिटी हेल्थ सेंटर राहों में ट्रेकोमा(कुकरे) रोग की पहचान करने के लिए सर्वे करने संबंधी आशा वर्करों की प्रशिक्षण दिया गया। इस मौके पर सीनियर मेडिकल अफसर डा. गीतांजली सिंह ने बताया कि भारत सरकार की तरफ से ट्रेकोमा को जड़ से खत्म करने के उद्देश्य के साथ राष्ट्रीय ट्राकौमा सर्वे करवाया जा रहा है। इसके तहत आशा वर्करों की तरफ से ट्रेकोमा की बीमारियों की पहचान की जाएगी। सर्वे की निगरानी केंद्रीय टीम की तरफ से 15 जून को की जाएगी। सेहत ब्लाक मुजफ्फरपुर के सात गांवों में आशा वर्करों को घर -घर जाकर ट्रेकोमा की बीमारी वाले मरीजों की पहचान करेंगी और इसकी रिपोर्ट बना कर उच्च अधिकारियों को सौंपेगी।
आंखों के माहिर डा. नवरीत कौर ने प्रशिक्षण देते हुए बताया कि ट्रेकोमा एक समीपता का रोग है और यह आंखों की पलकों पर प्रभाव करता है। उन्होंने बताया कि ट्रेकोमा आंखों की पलकों के अंदर होने वाले छोटे -छोटे दानों को कहते हैं। यह बारीक दाने आंखों में चुभते रहते हैं, जिसके कारण आंखें हर समय लाल रहती हैं और दुखती रहती हैं। इस रोग के चलते पलक के अंदर की तरफ मुड़ जाती है और पलकों के बाल पुतली पर रगड़ लगाते हैं और आंखों को नुक्सान होता है। उन्होंने बताया कि ट्रेकोमा रोग के साथ ग्रसित व्यक्ति जब अपनी, पलकें झपकता है तो उस में दर्द महसूस करता है। आंखें लाल रहती हैं और उनमें से लगातार पानी बहता रहता है। उन्होंने बताया कि पलकों के जो बाल आंखों में चुभ रहे होते हैं, उन को चिमटी के साथ हटाने पर मरीज को राहत मिलती है और यदि मरीज को ज्यादा तकलीफ हो तो आपरेशन भी करना पड़ता है। इस मौके पर ब्लाक एक्स्टेंसन एजूकेटर मनिदर सिंह समेत सेहत विभाग के कई अधिकारी और कर्मचारी मौजूद थे।
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