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    600 वर्ष पुरानी धरोहर संभालेगी संस्था

    By Edited By:
    Updated: Fri, 12 Jul 2013 01:53 AM (IST)

    रोहित कुमार जैन, राहों

    पंजाब के जिला शहीद भगत सिंह नगर का कस्बा राहों एक ऐतिहासिक शहर है, मगर इसकी ज्यादातर ऐतिहासिक धरोहरें धीरे-धीरे नष्ट होती जा रही हैं। इन्हीं ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है राहों का दिल्ली गेट, जोकि विभागीय लापरवाही के कारण आज अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है।

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    राहों करीब 600 वर्ष पहले दिल्ली-लाहौर (पाकिस्तान) के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था। यह दिल्ली दरवाजा दिल्ली के सामान के लिए मशहूर था। बादशाह इब्राहिम लोधी (1517-1526) के शासनकाल में यह शहर तिब्बत व मध्य एशिया के देशों में महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र के तौर पर प्रसिद्ध हुआ। दिल्ली से दो रास्ते अफगानिस्तान व मध्य एशिया को जाते थे और यह दोनों राहों के दिल्ली दरवाजे से होकर ही जाते थे। प्राचीन ऐतिहासिक शहर राहों किले के रूप में होता था, जिसके चार मुख्य दरवाजे थे। इसमें दिल्ली दरवाजा, लाहौरी दरवाजा, पहाड़ सिंह दरवाजा व रोपड़ी दरवाजा शामिल थे। इन चार दरवाजों में से तीन दरवाजों का अब नामोनिशान मिट चुका है। अब सिर्फ एकमात्र दिल्ली दरवाजा ही बचा हुआ है, जोकि अब आखिरी सांसें गिन रहा है।

    दिल्ली दरवाजा पूर्व दक्षिण की ओर शहर का प्रमुख दरवाजा है। इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने और इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। ऐतिहासिक धरोहर को बचाने और उसे नया रूप देने के वायदे प्रशासनिक अधिकारी, नगर कौंसिल के प्रधान, क्षेत्र के विधायक और नगर कौंसिल के कार्यकारी अधिकारी समय-समय पर करते रहे हैं, लेकिन वायदों के आगे कुछ नहीं हुआ। इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने का बीड़ा दैनिक जागरण ने सात सितंबर, 2008 से शुरू हुआ और लगातार प्रशासन व नगर कौंसिल को जगाने के लिए समाचार प्रकाशित करता रहा। मगर वर्षो बीत जाने के बाद भी इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए किसी ने भी कोई ध्यान नहीं दिया। अलबत्ता झूठे आश्वासन ही देते रहे।

    दैनिक जागरण की मुहिम के चलते अब राहों की एक समाजसेवी संस्था शहीद भगत सिंह नौजवान सभा ने इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने का जिम्मा उठाया है। संस्था के प्रधान रोमी, शिंगारा राम, धर्मपाल, दीदार सिंह, बीबी चन्नो, अर्शदीप, अश्विनी, लक्की, बिट्टा, दिलबाग राम, रवि कुमार, रिंकू चोपड़ा, अशोक कुमार, मनी व प्रिंस आदि ने बताया कि हमारी ऐतिहासिक धरोहर आखिरी सांसें गिन रही है, लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी नगर कौंसिल की ओर से कोई कदम न उठाने के बाद उनकी संस्था ने इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक दिल्ली गेट पर नगर कौंसिल ने कई सालों से रंगरोगन भी नहीं करवाया है। इसका रंगरोगन करवाने का काम समाज सेवी संस्थाएं ही करवा रही हैं। उन्होंने दैनिक जागरण का भी आभार व्यक्त किया कि वह हमेशा ही लोगों की समस्याओं, समाज सेवी कार्यो और प्रशासन को जगाने में अहम भूमिका अदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली दरवाजे की रिपेयर का काम शुरू कर दिया है और जल्द ही इसे नया रूप देकर तैयार कर दिया जाएगा।

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