Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    कौन हैं ऑपरेशन सिंदूर के नायक रंजीत सिद्धू? जिन्हें मिलेगा वीर चक्र, फ्रांस से राफेल उड़ाकर रचा था इतिहास

    Updated: Fri, 15 Aug 2025 09:32 PM (IST)

    श्री मुक्तसर साहिब के रंजीत सिंह सिद्धू को ऑपरेशन सिंदूर में वीरता के लिए वीर चक्र मिलेगा। उन्होंने 2021 में राफेल लड़ाकू विमानों के पहले जत्थे को भारत लाकर इतिहास रचा था। गिद्दड़बाहा के मालवा स्कूल के प्रधानाचार्य ने इसे देश के लिए गर्व का क्षण बताया। रंजीत ने 12वीं तक की पढ़ाई मालवा स्कूल से की और वे फुटबॉल टीम के कप्तान भी रहे।

    Hero Image
    कौन हैं ऑपरेशन सिंदूर के नायक रंजीत सिद्धू। फाइल फोटो

    राजिंदर पाहड़ा, श्री मुक्तसर साहिब। ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के मुरिदके और बहावलपुर स्थित आतंकी ठिकानों पर करारा वार करने वाले भारतीय वायुसेना के जिन जांबाज अधिकारियों को वीर चक्र दिया जाना है उन शूरवीरों में जिला श्री मुक्तसर साहिब के गिद्दड़बाहा का निवासी ग्रुप कैप्टन रंजीत सिंह सिद्धू का नाम भी शामिल है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वैसे उनका परिवार मूल रूप से जिला बठिंडा के रायके कलां गांव का रहने वाला है। यह पहला मौका नहीं जब रंजीत सिद्धू के कारण पंजाब-हरियाणा को गौरव महसूस हो रहा है। वह पहले भी इतिहास रच चुके हैं।

    जब 2021 में फ्रांस से पांच राफेल लड़ाकू विमानों का पहला जत्था भारत लाया गया था, तब स्क्वाड्रन लीडर रंजीत सिद्धू ने उनमें से एक को उड़ाया था, जो अंबाला में उतरा था।

    रंजीत के गृहनगर गिद्दड़बाहा के मालवा स्कूल के प्रधानाचार्य कर्नल सुधांशु आर्य (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यह देश के लिए गर्व का क्षण है। रंजीत ने आपरेशन सिंदूर में भाग लिया था।

    अदम्य साहस का दिया था परिचय

    उल्लेखनीय है कि आपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना का अहम योगदान रहा। इसी शौर्य के लिए रंजीत सिंह सिद्धू को वीर चक्र की घोषणा हुई है। यह सम्मान भारतीय वायुसेना के सर्वोच्च सम्मानों में से एक है।

    गैलेंट्री पुरस्कारों में परमवीर चक्र और महावीर चक्र के बाद वीर चक्र आता है। यह चक्र ऐसे योद्धाओं को मिलता है, जिन्होंने अदम्य साहस का परिचय दिया हो।

    बता दें कि आपरेशन सिंदूर सात मई 2025 को शुरू हुआ। यह कार्रवाई भारत द्वारा पहलगांव पर हुए आतंकी हमले जिसमें 26 भारतीय मारे गए, की सामरिक प्रतिक्रिया थी।

    इस आपरेशन में सेना ने आतंकवादी ठिकानों पर निशाना साधा। इस अभियान में मुरिदके, बहावलपुर और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकवादी ठिकानों पर सटीक बमबारी की गई थी।

    10वीं कक्षा में ही रंजीत के मन में एयरफोर्स के लिए जुनून था

    रंजीत सिद्धू ने 12वीं तक की पढ़ाई गिद्दड़बाहा के मालवा स्कूल से की। वे स्कूल की फुटबाल टीम के कप्तान रहे और उनकी कप्तानी में स्कूल ने राज्य स्तर का टूर्नामेंट भी जीता। उनके शिक्षक बताते हैं कि वे पढ़ाई और खेल दोनों में बेहतरीन थे।

    स्कूल के वाइस प्रिंसिपल जसबीर सिंह बराड़ बताते हैं कि रंजीत में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता रही। रंजीत को भारतीय वायुसेना में जाने की प्रेरणा उनके स्कूल के तत्कालीन प्रिंसिपल वेणुगोपाल से मिली, जो खुद रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर थे। कक्षा 10वीं में ही रंजीत के मन में एयरफोर्स के लिए जुनून जग गया।

    साल 1999 में 12वीं पास करने के बाद उन्होंने साल 2000 में एनडीए परीक्षा पास की और अपने सपनों की उड़ान शुरू की। रंजीत के पिता गुरमीत सिंह राजस्व विभाग से सेवानिवृत्त हैं।

    प्रधानाचार्य कर्नल सुधांशु आर्य (सेवानिवृत्त) बताते हैं कि रंजीत के शिक्षक उन्हें एक आलराउंडर के रूप में याद करते थे। उन्होंने बताया कि दसवीं कक्षा में पढ़ते समय ही उनमें वायु सेना के प्रति प्रेम विकसित हो गया था।

    सुखोई जैसे एडवांस्ड फाइटर जेट भी भारत ला चुके हैं रंजीत

    करीब पांच साल पहले जब फ्रांस से पहले बैच के राफेल फाइटर जेट भारत लाए गए तो उनमें से एक जेट रंजीत सिंह सिद्धू उड़ा रहे थे। उस दिन देशभर की नजरें टीवी स्क्रीन पर थीं और पंजाब व गिद्दड़बाहा के लोगों के दिल गर्व से भर गए थे।

    इसके अलावा रंजीत सिंह सिद्धू का सफर सिर्फ राफेल तक सीमित नहीं है। इससे पहले वे रूस से सुखोई जैसे एडवांस्ड फाइटर जेट भी भारत ला चुके हैं।

    परिवारजन गर्व से बताते हैं कि रंजीत ने हमेशा देश के लिए सर्वश्रेष्ठ दिया है। सुखोई से लेकर राफेल तक उसने हर मिशन में अपनी क्षमता साबित की है।