प्रकाश बादल की बरसी पर भी बागियों के साथ दिल नहीं जोड़ पाए सुखबीर, दोबारा प्रधान बनने पर चुनौती नहीं हुई कम
प्रकाश सिंह बादल की दूसरी बरसी पर शिअद में एकता की उम्मीद थी लेकिन बागी नेता नहीं पहुंचे। सुखबीर बादल ने सिख पंथ और शिअद को मजबूत करने का आह्वान किया। बरसी समारोह में शिअद के बागी गुट के नेता सुखदेव सिंह ढींडसा प्रेम सिंह चंदूमाजरा गुरप्रताप सिंह वडाला बीबी जगीर कौर विधायक मनप्रीत अयाली सहित कोई नेता शामिल नहीं हुआ।

जागरण संवाददाता, मुक्तसर। गांव बादल में शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की दूसरी बरसी मनाई गई। उम्मीद थी कि बरसी पर शिअद में एकजुटता दिखेगी, साथ छोड़ गए पुराने व बागी नेता भी पहुंचेंगे, लेकिन कोई नहीं आया।
बरसी के बहाने भी सुखबीर बागियों से दिल नहीं जोड़ पाए। हालांकि, शिअद के दोबारा प्रधान बने सुखबीर ने संबोधित करते हुए सिख पंथ और शिअद को मजबूत करने का आह्वान किया।
बरसी समारोह में शिअद के बागी गुट के नेता सुखदेव सिंह ढींडसा, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, गुरप्रताप सिंह वडाला, बीबी जगीर कौर, विधायक मनप्रीत अयाली सहित कोई नेता शामिल नहीं हुआ। यहां तक कि सुखबीर के साले पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया भी किसी कारणवश समारोह में शामिल नहीं हुए।
बिक्रम मजीठिया ने भी बनाई दूरी
हालांकि, सुखबीर के दोबारा प्रधान बनने से लग रहा था कि वे बागियों को साथ लाने का प्रयास करेंगे और दूरियां मिटाएंगे, लेकिन दोनों गुटों की दूरियां कम होने के स्थान पर बढ़ रही हैं। इसका शिअद को सीधे तौर पर चुनाव में नुकसान होगा। पहले भी हुए चुनावों में शिअद को नुकसान हुआ है।
अब सुखबीर के लिए सभी को एक साथ लेकर चलना एक चुनौती बना हुआ है। बरसी समारोह में सुखबीर के रिश्तेदार व पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया भी किसी कारण समारोह में शामिल नहीं हुए।
इस बात को भी बीते दिनों मजीठिया के सिंह साहिबानों को हटाए जाने के बयान से जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं बागी गुट के अलावा श्री अकाल तख्त साहिब और तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार पद से हटाए गए जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह और ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने भी बादल के बरसी समारोह से दूरी बनाए रखी।
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