Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Shaheed Diwas 2025: मुक्तसर विकास मिशन ने बनाया शहीदी दिवस, वीर बलिदानियों को याद कर दी श्रद्धांजलि

    Updated: Sun, 23 Mar 2025 11:12 AM (IST)

    शहीद-ए-आज़म भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव के बलिदान दिवस पर मुक्तसर विकास मिशन ने श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि बलिदानी पूरे देश के अनमोल रत्न होते हैं और उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।भारत में केवल एक दिन नहीं बल्कि सात शहीद दिवस मनाए जाते हैं। यह दिन 30 जनवरी 23 मार्च 19 मई 21 अक्टूबर 17 नवंबर 19 नवंबर और 24 नवंबर हैं।

    Hero Image
    तीन शहीदों की याद में मनाया जाता है शहीदी दिवस

    संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब। समाज सेवी संस्था मुक्तसर विकास मिशन द्वारा शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राज गुरू और सुखदेव जी के बलिदानी दिवस पर स्थानीय रेलवे रोड स्थित सिटी होटल में श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया।

    इस दौरान सबसे पहले उक्त बलिदानियों के चित्रों पर हार पहनाकर पुष्पांजलि अर्पित किए गए। इस समय सभी वक्ताओं ने कहा कि बलिदानी पूरे देश के अनमोल रत्न होते हैं तथा वे पूरे समाज का गौरव होते हैं।

    हंसते-हंसते चढ़ गए थे फांसी पर 

    अपने प्रधानगी भाषण में अध्यक्ष ने कहा कि 23 मार्च 1931 को तीन महान क्रांतिकारी योद्धाओं भगत सिंह, सुखदेव और राज गुरु ने देश की आजादी के लिए लड़ते हुए युवावस्था में ही अपने प्राणों की आहुति दे दी। उन्होंने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमकर पूरी दुनिया में एक अनूठी मिसाल कायम की। इन बलिदानियों के बलिदान के कारण ही आज हम आजादी के सुख का आनंद ले रहे हैं और उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह भी पढ़ें-खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह से हटेगा NSA? आज खत्म हो रही है अवधि, पंजाब सरकार ने जारी नहीं किए नए आदेश

    मिशन मुखी जगदीश राय ढोसीवाल की प्रधानगी में हुए इस समारोह में मिशन गाइड इंज. अशोक कुमार भारती और चेयरमैन निरंजन सिंह रखरा के अलावा राजेश गिरधर, साहिल कुमार हैप्पी, बलजीत सिंह कोआपरेटिव, केएल महिंदरा, नरिंदर काका, जशनदीप जिम्मी, डॉ. जसविंदर सिंह और विक्रांत तेरिया आद मौजूद रहे।

    एक दिन पहले ही दे दी गई थी फांसी 

    अंग्रेजों ने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की फांसी के लिए 24 मार्च, 1931 की सुबह 6 बजे का वक्त तय किया था। लाहौर सेंट्रल जेल के बाहर दो दिन पहले ही लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा होने लगी थी। जिसकी वजह से लाहौर में धारा 144 लागू करने की नौबत आ गई लेकिन लोगों पर इस धारा का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा। जिससे अंग्रेज बहुत घबरा गए और इन दिनों को 12 घंटे पहले ही फांसी दे दी गई। दुखद बात है कि इन तीनों को अपने परिजनों से आखिरी बार मिलने का भी मौका नहीं मिला।

    इन दिनों पर भी मनाया जाता रहै शहीद दिवस 

    उल्लेखनीय है कि शहीदों के सम्मान में भारत में हर साल सिर्फ 23 मार्च ही नहीं बल्कि कुल सात शहीद दिवस मनाए जाते हैं। यह सात दिन 30 जनवरी, 23 मार्च, 19 मई, 21 अक्टूबर, 17 नवंबर, 19 नवंबर और 24 नवंबर हैं।

    यह भी पढ़ें- पंजाब में AAP और अकाली दल ने परिसीमन का किया विरोध, CM मान बोले- इसका उद्देश्य विपक्षी दलों को खत्म करना