भगवान विष्णु की चार प्रदक्षिणा का अर्थ धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष सिद्ध करना
स्वामी कमलानंद गिरि जी ने कार्तिक महीने का महत्व सुनाते हुए कहा कि जो सर्वज्ञ होता है वह परमात्मा ही होता है।
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब : स्वामी कमलानंद गिरि जी ने कार्तिक महीने का महत्व सुनाते हुए कहा कि जो सर्वज्ञ होता है, वह परमात्मा ही होता है। लौकिक, अलौकिक, वैज्ञानिक, आध्यात्मिक, इहलोक, परलोक, सृष्टि के सप्त द्वीप, नव खंड, जलचर, थलचर, गगन चर, स्थावर, जंगम, जीव-जंतु, कीट, पतंग, 33 करोड़ देवी देवता, अरबों की संख्या में दैत्य-दानव, यानी कि जो संपूर्ण पृथ्वी के कण-कण, एवं रग-रग को भली-भांति जानता और समझता है वह ही ईश्वर कहलाता है। स्वामी ने ये विचार श्री राम भवन में आयोजित कार्तिक महोत्सव के दौरान मंगलवार को श्रद्धालुओं के समक्ष प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए। कार्तिक का महत्व बताते हुए स्वामी जी ने कहा कि जगत जननी मां दुर्गा की एक प्रदक्षिणा (परिक्रमा) करनी चाहिए। यज्ञ के बाद अग्नि के हवन कुंड की व यज्ञशाला की सात प्रदक्षिणा होनी चाहिए। भगवान विष्णु की चार प्रदक्षिणा की जाती है। चार प्रदक्षिणा का अर्थ है धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष सिद्ध करना। स्वामी जी ने बताया कि जिस में भरत जैसा तप, भरत जैसा त्याग और भरत जैसी निष्काम भावना है, उसको भगवान विशेष प्यार देते हैं, उसके ऊपर हमेशा अपना वरदहस्त बनाए रखते हैं।
विवाद नहीं होता इसलिए रखा अयोध्या नाम
लखन लाल जी की चर्चा करते हुए स्वामी जी ने बताया कि 14 वर्ष तक पत्नी का त्याग, भोजन का त्याग और निद्रा का त्याग ऐसे कार्य तो केवल लक्ष्मण जैसे यति ही कर सकते हैं। अयोध्या का नाम इसीलिए अयोध्या रखा गया कि वहां कोई लड़ाई, झगड़ा या कोई युद्ध कभी भी नहीं होता। राम जी ने वन में जाकर कठोर तपस्या की। लखन लाल जी ने उनकी सेवा से और श्री भरत जी ने अवध में रहकर प्रभु की चरण पादुकाओं की सेवा द्वारा बराबर की तपस्या की। पदार्थों के अभाव में तपस्या अपने आप हो जाती है।
श्री राम भवन में मनाई आंवला नवमी
कार्तिक महोत्सव के तहत श्री राम भवन में आंवला नवमी धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इस मौके पर स्वामी कमलानंद जी ने आंवला नवमी का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि आज के दिन आंवला का स्पर्श और उसका सेवन करना बहुत अच्छा बताया गया है। श्रद्धालुओं ने मंदिर में आंवला का पूजन भी किया। साथ ही श्रद्धालुओं को आंवला प्रसाद भी वितरित किया गया।
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