चित की वृत्तियों का निरोध ही है योग
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की तरफ से गुरु गोबिद सिंह पार्क में योग शिविर लगाया गया।

संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की तरफ से गुरु गोबिद सिंह पार्क में अपने स्वास्थ्य जाग्रति कार्यक्रम आरोग्य के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में 21 डे योगा चैलेंज के अंतर्गत दो दिवसीय योग शिविर का आयोजन किया गया। शनिवार को पहले दिन आशुतोष महाराज जी के शिष्य योगाचार्य स्वामी विज्ञानानंद ने भारतीय संस्कृति की उत्कृष्ट विरासत योग की महानता से परिचित कराते हुए योग साधकों को बताया कि योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह तन, मन और आत्मा की एकात्म अवस्था का परिचायक है। मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है, संयम और पूर्ति प्रदायक तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह मात्र व्यायाम के बारे में ही नहीं है, अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है।
हमारी परिवर्तनशील जीवन शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। इसलिए गौरवान्वित होकर यह कहा जा सकता है कि सम्पूर्ण विश्व में आर्यावर्त भारतीय योग मनीषियों द्वारा प्रदत्त योग पद्धति को उत्कृष्ट निधि के रूप में सर्वसम्मति से समग्र राष्ट्रों द्वारा अग्रगण्य स्वीकार किया गया। वस्तुत: संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने दिसंबर 2014 में प्रतिवर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का संकल्प पारित किया। योग की रहस्यात्मक विवेचना पर प्रकाश डालते हुए स्वामी ने बताया कि आज मूलत: कुछ योगासनों और प्राणायामों को ही सम्पूर्ण योग पद्धति स्वीकार कर लिया जाता है। जब कि ऐसा नहीं है। योग शब्द संस्कृत की युज धातु से बना है। जिसका अर्थ होता है जुड़ना। अर्थात हमारे तन, मन और आत्मा की एकात्म अवस्था ही योग है।
महर्षि पतंजलि ने योग की परिभाषा देते हुए कहा है कि योग: चित्त वृत्ति निरोध: अर्थात चित की वृत्तियों का निरोध ही योग है। फिर ही योग: कर्मसु कौशलम की अवधारणा सिद्ध होती है। स्वामी जी ने पातंजलि योग सूत्र के अनुसार साधकों को ताड़ासन, दण्डासन, कटिचक्रासन, अर्द्ध चंद्रासन, द्विचक्रिकासन, भुजंगासन, नाड़ीशोधन, अनुलोम विलोम प्राणायाम इत्यादि का विधिवत अभ्यास करवाते हुए इनके वैज्ञानिक पक्ष द्वारा दैहिक लाभों से परिचित भी करवाया।
संस्थान की ओर से अपने आरोग्य प्रकल्प के अंतर्गत सम्पूर्ण विश्व में निशुल्क विलक्षण स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन कर सर्वे सन्तु निरामया: की उक्ति को सिद्ध किया जा रहा है। इसी श्रृंखला में साध्वी शुभ्रा भारती ने बताया कि उक्त शिविर में योग शिविर के दौरान निशुल्क आयुर्वेदिक शिविर का भी आयोजन किया गया। जिसमें वैद्य राज कुमार द्वारा निशुल्क नाड़ी परीक्षण कर संस्थान के कामधेनु प्रकल्प के अंतर्गत देसी गाय के विशुद्ध पंचगव्य से निर्मित आयुर्वेदिक औषधियां भी उपलब्ध करवाई गईं। भारतीय संस्कृति की मर्यादा बनाए रखते हुए कार्यक्रम का आरम्भ विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ हुआ। सभी साधकों ने दैहिक आरोग्यता से परिपूर्ण कार्यक्रम का पूर्णत: लाभ प्राप्त किया।
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