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    गिद्दड़बाहा का चुनावी रण: क्या 5वीं बार फतेह कर पाएंगे मनप्रीत बादल? शिअद या कांग्रेस नहीं इस बार बीजेपी ने लगाया दांव

    Updated: Tue, 22 Oct 2024 07:10 PM (IST)

    पंजाब में 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गिद्दड़बाहा सीट से पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत बादल को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया है। उल्लेखनीय है कि मनप्रीत बादल जनवरी 2023 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। मनप्रीत सिंह बादल पहली बार प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व में बनी सरकार में 2007 में वित्त मंत्री बने थे।

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    बीजेपी ने गिद्दड़बाहा विधानसभा सीट से मनप्रीत सिंह बादल को दिया टिकट (फाइल फोटो)

    राजिंदर पाहड़ा, गिद्दड़बाहा। मनप्रीत बादल शिअद में रहते हुए गिद्दड़बाहा का चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। मनप्रीत 1995 से 2010 तक गिद्दड़बाहा से विधायक रहे हैं। जबकि 2017 से 2022 तक कांग्रेस की तरफ से बठिंडा शहरी हलके से विधायक रहे हैं। मनप्रीत बादल पिछले कई दिनों से गिद्दड़बाहा में लोगों से संपर्क साध रहे हैं।

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    यह तो पहले से ही संभावित था कि भाजपा मनप्रीत को ही गिद्दड़बाहा से टिकट देगी। हालांकि इससे पहले मनप्रीत को बठिंडा से लोकसभा चुनाव लड़ने की भी पार्टी अंदरखाते पेशकश कर चुकी थी लेकिन तबीयत खराब का हवाला देकर मनप्रीत बादल ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था।

    लेकिन इस बार पार्टी मनप्रीत पर गिद्दड़बाहा से उपचुनाव लड़ने का निरंतर दबाव बना रही थी। उल्लेखनीय है कि रविवार को आम आदमी पार्टी ने शिअद से आए हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया था। अब कांग्रेस और शिअद के उम्मीदवारों की घोषणा शेष है।

    मनप्रीत बादल का राजनीतिक करियर 

    62 वर्षीय मनप्रीत सिंह बादल पांच बार (1995, 1997, 2002, 2007, 2017) पंजाब विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं और दो बार वित्त मंत्री रह चुके हैं। वित्त मंत्री के रूप में उनका पहला कार्यकाल 2007 से 2010 तक प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली सरकार में था।

    जबकि 2017 से 2022 तक वित्त मंत्री के रूप में कांग्रेस सरकार में उनका दूसरा कार्यकाल था। 2010 में शिअद से अलग होकर उन्होंने पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब का गठन कर लिया था और 2016 में कांग्रेस में विलय कर गए थे। जनवरी 2023 को कांग्रेस को भी छोड़ दिया और भाजपा में शामिल हो गए।

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    मनप्रीत की हलके में ताकत

    • गिद्दड़बाहा से पहले चार बार विधायक रह चुके हैं।‌ इसलिए लोगों में अपनी पहचान नहीं बतानी पड़ रही। हलके में पुराने हैं।
    • शिअद और कांग्रेस में रहे हैं। ऐसे में दोनों पार्टियों में मनप्रीत के समर्थक हैं। कइयों को भाजपा में शामिल करवा भी चुके हैं। इसका लाभ चुनाव में मिलेगा।
    • अक्टूबर की शुरुआत से ही लोगों में जा रहे हैं। प्रचार कई दिनों से शुरू कर रखा है। लोगों को भी लगभग तय था कि मनप्रीत भाजपा से चुनाव लड़ेंगे। इसलिए घर घर जाकर लोगों से समर्थक मांग रहे हैं। हलके को काफी हद तक कवर भी कर चुके हैं। पुरानी पहचान का लाभ मिल रहा है।

    मनप्रीत की हलके में कमजोरियां 

    - दल बदलू का टैग लगा है। क्योंकि मनप्रीत तीन पार्टियां बदल चुके हैं। अब चौथी पार्टी में हैं। तो इसका भी नुकसान हो सकता है। इसके अलावा गिद्दड़बाहा हलके से सालों तक दूरी बना कर रखी। अभी चुनाव में एकदम से एंट्री की है तो वैसा रिस्पांस नहीं जुटा पा रहे जो पहले मिलता रहा है।

    - भाजपा का ग्रामीण क्षेत्रों में वोट शेयर कम है। खास कर गिद्दड़बाहा हलका कांग्रेस और शिअद का गढ़ रहा है। ऐसे में मनप्रीत के लिए गांवों के लोगों को अपने साथ बड़ी संख्या में जोड़ना चुनौती है। भाजपा का गांवों में किसानों सहित अन्य वर्ग के लोगों द्वारा विरोध ज्यादा है।

    - चुनाव में सामने दोनों पुराने साथी हैं,आप से डिंपी और कांग्रेस से राजा वड़िंग। ऐसे में अपनी खोई राजनीतिक जमीन हासिल कर पाना भी चुनौती बना हुआ है।

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