सर्द रातों में फर्श पर सोने को मजबूर तीमारदार
सिविल अस्पताल के गायनी वार्ड में तीमारदारों को गर्मी व सर्दी के मौसम में फर्श पर ही रात गुजारने को मजबूर होना पड़ रहा है।
राज कुमार राजू, मोगा
सिविल अस्पताल के गायनी वार्ड में भर्ती महिलाओं के तीमारदारों के लिए रैन बसेरा न होने के चलते गर्मी व सर्दी के मौसम में फर्श पर ही रात गुजारने को मजबूर होना पड़ रहा है। लोगों की शिकायत है कि अगर हम मरीज के पास जाते हैं तो उन्हें वहां बैठने नहीं दिया जाता है। इसके अलावा अस्पताल प्रशासन पिछले कई वर्षों से परिसर में रैन बसेरा बनाने की बात कह चुका है लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ है।
गौर रहे कि मोगा के सिविल अस्पताल में भले ही रोजाना करीब 800 लोग ओपीडी परिसर में विभिन्न बीमारियों का उपचार करने के लिए पहुंचते हैं। वही प्रति महीने करीब 400 महिलाएं डिलीवरी के लिए सिविल अस्पताल के गायनी वार्ड में आती हैं। इसके बावजूद अस्पताल में आने वाले मरीजों को सिविल अस्पताल प्रशासन मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने में पीछे रहा है।
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दूसरे जिलों से भी आते हैं मरीज
समाजसेवी गुडडू अग्रवाल ने बताया कि मोगा के सरकारी अस्पताल में आसपास के गांव और कस्बों के लोग उपचार करवाने के लिए आते हैं। वही मोगा के साथ-साथ जिला फिरोजपुर से इलाकों से महिलाएं भी प्रसव करवाने के लिए मोगा के सिविल अस्पताल में पहुंचती हैं। इन दिनों अस्पताल में आए गर्भवती समेत उनके तीमारदारों को जहां शौचालय की सुविधा बेहतर ढंग से नहीं मिल पा रही है। वही कई कई बार पीने के पानी को भी बाजार से खरीदकर लाना पड़ता है।
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रैन बसेरे की दी जाए सुविधा :
कुनाल अरोड़ा ने कहा कि सरकार की ओर से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए जहां सेहत विभाग प्रयास कर रहा है, वही उनकों अस्पतालों में आने के दौरान पीने के पानी की समस्या समेत साफ-सफाई, रैन बसेरा न होने के कारण परेशानी झेलनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में आए मरीजों के तमीरदारों के लिए रैन बसेरा अस्पताल परिसर में बनाना चाहिए।
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सेहत विभाग के उच्चाधिकारियों को करवाया है अवगत: एसएमओ
इस संबंध में एसएमओ डा. राजेश अत्री ने बताया कि उन्होंने गायनी वार्ड में आने वाले मरीजों के रिश्तेदारों के सोने के लिए रैन बसेरे की मांग सेहत विभाग के उच्चाधिकारियों के समक्ष रखी है। गायनी वार्ड में आने वाले मरीजों के रिश्तेदारों को गायनी वार्ड के फर्श पर या इमरजेंसी के बाहर बने शैड के नीचे ही सोकर रात गुजारनी पड़ती है।
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