एकाग्रचित होकर करना चाहिए श्रीमद् देवी भागवत कथा का श्रवण : पवन गौड़
संवाद सहयोगी, मोगा श्री सनातन धर्म हरि मंदिर में श्री दुर्गा शतचंडी महायज्ञ एवं श्रीमद्देवी भागवत ...और पढ़ें

संवाद सहयोगी, मोगा
श्री सनातन धर्म हरि मंदिर में श्री दुर्गा शतचंडी महायज्ञ एवं श्रीमद्देवी भागवत कथा में भक्तों ने भाग लेकर अपनी हाजिरी लगवाई। सभी सदस्यों व यजमानों ने गणपति पूजन किया।
इसके उपरांत भव्य यज्ञ शाला में बने पांच हवन कुंड में यजमानों ने घी सामग्री से आहुतियां डाल मंगल कामना की। कथा वाचक पवन गौड़ ने श्रीमद देवी भागवत महापुराण की कथा का वर्णन करते कहा कि अठारह पुराणों में देवी भागवत पुराण उसी प्रकार सर्वोत्तम है, जिस प्रकार नदियों में गंगा, देवों में शंकर, काव्यों में रामायण, प्रकाश स्त्रोतों में सूर्य, शीतलता और आह्लाद में चंद्रमा, कर्मशीलों में पृथ्वी, गंभीरता में सागर और मंत्रों में गायत्री आदि श्रेष्ठ हैं। यह पुराण श्रवण सब प्रकार के कष्टों का निवारण करके आत्मकल्याण करता है। भक्तों को ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। पवन गौड़ ने कहा कि इसकी महिमा इतनी महान है कि नियमपूर्वक एक -आध श्लोक का उच्चारण करने वाला भक्त भी भगवती की कृपा का पात्र बन जाता है। सावन मास में इसका श्रवण अधिक फलदायी है। इसलिए जितना भी समय मिले हमें भगवती के नाम का सिमरन करना चाहिए। इसके श्रवण करने तथा पाठ करने में समस्त प्राणियों को पुण्य प्राप्त होता है। व्यासपीठ से कथा वाचक पवन गौड़ ने कहा कि सभी प्राणी जिनके भीतर स्थित हैं और जिनसे सम्पूर्ण जगत प्रकट होता है, जिन्हें परम तत्व कहा गया है, वे साक्षात स्वयं भगवती ही हैं। सभी प्रकार के यज्ञों से जिनकी आराधना की जाती है, वे एकमात्र भगवती ही हैं। इस दौरान भक्तों ने यज्ञ शाला की परिक्रमा की।

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