जिंदगी और मौत से जूझ रहा व्यक्ति स्ट्रेचर पर पड़ा था, तहसीलदार ने उसकी वसीयत कर दी रजिस्टर
मोगा में एक तहसीलदार पर आरोप लगा है कि उन्होंने एक बीमार व्यक्ति की विवादित वसीयत को अवैध रूप से रजिस्टर किया जिसकी बाद में मौत हो गई। फरीदकोट के डिविजनल कमिश्नर ने जांच के आदेश दिए हैं। एसडीएम ने पुष्टि की है कि तहसीलदार ने नियमों का उल्लंघन किया। तहसीलदार ने सफाई में कहा कि वसीयत कहीं भी रजिस्टर की जा सकती है।

जागरण संवाददाता, मोगा। जिंदगी और मौत से जूझ रहे एक व्यक्ति को डॉक्टर अस्पताल से डीएम लुधियाना रेफर कर रहे थे, इसी दौरान ऑफिस समय के बाद तहसीलदार बाघापुराना ने निहालसिंह वाला होने वाली उसी व्यक्ति की विवादित वसीयत बाघापुराना में रजिस्टर्ड कर दी। जिस व्यक्ति की वसीयत रजिस्टर की गई, उसकी कुछ घंटों बाद अस्पताल में मौत हो गई। इस मामले में फरीदकोट के डिविजनल कमिश्नर ने डीसी को जांच सौंपी है।
एसडीएम निहाल सिंह वाला स्वाति टिवाना ने पुष्टि करते हुए बताया कि अधिकारी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सरकार के निर्देशों और नियमों के विरुद्ध उप डिवीजनल कार्यालय बाघापुराना में विवादित वसीयत रजिस्टर्ड कर दी, जबकि वसीयत निहालसिंह वाला में रजिस्टर होनी थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने पूरे मामले की जांच करने के बाद रिपोर्ट डीसी को सौंप दी है।
बाघापुराना के तत्कालीन तहसीलदार (सब रजिस्ट्रार) गुरमुख सिंह ने स्पष्ट किया कि रजिस्ट्रेशन एक्ट के अनुसार वसीयत किसी भी तहसील, अस्पताल, जेल या घर पर जाकर भी रजिस्टर्ड करवाई जा सकती है। उन्होंने जांच अधिकारी कम एसडीएम निहाल सिंह वाला के समक्ष रखे अपने बचाव में कहा कि उनके पास बाघापुराना के तहसीलदार (सब रजिस्ट्रार) के साथ-साथ निहाल सिंह वाला का अतिरिक्त कार्यभार भी है।
वह 4 दिसंबर 2024 को दोपहर 2.20 बजे निहाल सिंह वाला में रजिस्ट्रेशन का काम मुकम्मल करने के बाद बाघापुराना में रजिस्ट्रेशन का काम कर रहे थे। इस दौरान विवादित वसीयत दोपहर 2.40 बजे निहाल सिंह वाला कार्यालय में पेश की गई। रजिस्ट्री क्लर्क ने उनके ध्यान में पक्षकारों की ओर से बताया गया कि उनका भाई बीमार है और उसे अस्पताल से लाया गया है। इसी दलील के बाद उन्होंने वसीयत रजिस्टर कर दी।
इस मामले में गांव दीना के नछत्तर सिंह धालीवाल ने कमिश्नर फरीदकोट डिवीजन फरीदकोट को शिकायत दी थी कि उनके चाचा मुख्तियार सिंह आदेश इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस एंड मेडिकल रिसर्च बठिंडा में दाखिल हैं। चूंकि उनकी हालत गंभीर थी और वहां बाईपास सर्जरी का कोई प्रावधान नहीं था, इसलिए डॉक्टरों ने उन्हें दूसरे अस्पताल में ले जाने को कहा।
उन्हें 4 दिसंबर 2024 को बेहोशी की हालत में एंबुलेंस से लुधियाना हीरो हार्ट अस्पताल ले जाया जा रहा था। इसी दौरान शाम 5.15 बजे बाघापुराना दफ्तर में उनकी वसीयत गलत तरीके से रजिस्टर कर दी गई। उस समय दफ्तर का समय खत्म हो चुका था और वह बेहोशी की हालत में थे। देर रात उन्हें डीएमसी में दाखिल करवाया गया और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।