मोगा में वकीलों ने की CJI पर जूता फेंकने की निंदा, मजदूर नेता बोले- 'अदालत न्याय का मंदिर, लॉयर का लाइसेंस निलंबित हो
मोगा में वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस पर जूता फेंकने की घटना की निंदा की। मजदूर नेता विजय धीर ने कहा कि कानून किसी को भी हाथ में लेने की इजाजत नहीं देता। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका लोगों का अंतिम सहारा है। वकील द्वारा लगाए गए नारे को किसी विचार से जोड़ना उचित नहीं है। उन्होंने वकील का लाइसेंस निलंबित करने की कार्रवाई का समर्थन किया।

संवाद सहयोगी, मोगा। गत दिवस एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी जिसमें 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने सुप्रीम कोर्ट में भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर.गवई पर जू ता फेंका, लेकिन जूता उन तक नहीं पहुंचा। मालवा के प्रमुख मजदूर नेता और वरिष्ठ वकील विजय धीर के नेतृत्व में आज यहां वकीलों ने इस घटना की कड़ी निंदा की।
इस अवसर पर प्रदीप भारती एडवोकेट, यज्ञदत्त गोयल एडवोकेट, आशीष ग्रोवर एडवोकेट, अजय कुमार एडवोकेट, रणवीर सिंह एडवोकेट, प्रवीण कुमार शर्मा विशेष रूप से उपस्थित थे। इस अवसर पर मदूर नेता विजय धीर एडवोकेट ने कहा कि कानून किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं देता।
धीर ने कहा कि देश का संविधान प्रत्येक व्यक्ति को मयार्दा की भाषा में मौखिक या लिखित रूप से अपनी बात कहने की आजादी देता है। धीर ने कहा कि जब विधायिका और कार्यपालिका अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में विफल हो जाती है, तब न्यायपालिका ही लोगों का अंतिम सहारा होती है।
धीर ने कहा कि अगर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर ने अदालत से बाहर जाते समय नारा लगाया कि भारत सनातन का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा, तो यह उसकी मानसिक स्थिति थी। उनके इस नारे को किसी विशेष विचार से जोड़ना उचित नहीं है। धीर ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा वकील का लाइसेंस निलंबित करने की कार्रवाई का समर्थन किया।
धीर ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और सभी धार्मिक स्थलों पर जाते हैं। धीर ने कहा कि भारतीय समाज की अदालतों में आस्था और विश्वास है। इसीलिए अदालतों को न्याय का मंदिर कहा जाता है। धीर ने कहा कि अदालतों में वादकारियों, वकीलों और न्यायाधीशों को ऐसी टिप्पणियां करने से बचना चाहिए जिससे किसी धर्म या वर्ग की भावनाएं आहत हों।
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