Punjab News: मोगा में पहली बार की गई मूंगफली की खेती, किसानों की इनकम में होगा जबरदस्त इजाफा
पंजाब के मोगा जिले में पहली बार मूंगफली की खेती की गई है। इस नई पहल से किसानों की आय में वृद्धि होने की संभावना है। मूंगफली की खेती किसानों के लिए एक ...और पढ़ें

मोगा में पहली बार की गई मूंगफली की खेती (File Photo)
प्रवीण शर्मा, मोगा। आने वाले लोहड़ी पर्व के अवसर पर मोगा जिले के गांव रौता में कृषि विभाग ने किसानों के लिए एक नई उम्मीद जगाई है। विभाग ने अपने फार्महाउस पर पहली बार मूंगफली की बुआई कर फसली विविधता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह पहल किसानों को परंपरागत गेहूं–धान की खेती से बाहर निकलकर नई और लाभकारी फसलों को अपनाने के लिए प्रेरित करेगी।
विभाग के मुख्य अधिकारियों की अगुवाई में टीम ने फार्महाउस और आसपास के खेतों का दौरा किया और मूंगफली की फसल का निरीक्षण किया। मुख्य कृषि अधिकारी डा. गुरप्रीत सिंह ने बताया कि इस बार मूंगफली की पैदावार 8–9 क्विंटल प्रति एकड़ से अधिक होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि यह खेती कम खर्च वाली होने के साथ-साथ चावल और गेहूं की तुलना में किसानों को अधिक लाभ दे सकती है।
85 हजार रुपये तक हो सकती है कमाई
डॉ. गुरप्रीत सिंह ने आगे बताया कि साढ़े तीन महीने की मूंगफली की फसल से किसान मिट्टी सहित प्रति एकड़ 80 से 85 हजार रुपये तक की कमाई कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि मूंगफली की खेती साल में दो बार की जा सकती है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि के कई अवसर खुलते हैं। डा. सिंह ने किसानों को यह भी सुझाव दिया कि यदि वे परंपरागत फसल चक्र से बाहर निकलकर नई फसलों को अपनाएं, तो उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है।
कृषि विभाग के अधिकारी डॉ. बलजिंदर सिंह ने कहा कि मूंगफली की सफल खेती युवाओं के लिए भी प्रेरणा बन सकती है। उन्होंने कहा,
यदि युवा अपने खेतों में इस तरह की पारंपरिक और लाभकारी फसलें उगाने लगें, तो उन्हें विदेशों में मजदूरी करने जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इससे ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और स्थानीय आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
स्थानीय किसानों के अनुसार, मूंगफली के साथ-साथ इसका टांगर (छिलका) भी 7–8 हजार रुपये प्रति एकड़ तक बिक जाता है, जिससे अतिरिक्त आय होती है। उन्होंने यह भी बताया कि मूंगफली की खेती न केवल लाभकारी है, बल्कि यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में भी मदद करती है।
किसानों की आय बढ़ने के सटीक जरिया
इस प्रकार, यह फसल पर्यावरणीय दृष्टि से भी लाभकारी साबित होती है। मोगा जिले में कृषि विभाग की यह पहल फसली विविधता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। इससे न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि गेहूं–धान की एकरंगी खेती के रुझान में भी बदलाव आ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे प्रयास किसानों को नई तकनीकों और फसलों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे, जिससे लंबे समय में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
आने वाला लोहड़ी पर्व इस पहल के लिए एक उपयुक्त अवसर है। जैसे ही किसान नए मौसम की शुरुआत करते हैं और खेतों में मूंगफली की बुआई करते हैं, यह त्योहार उनके मेहनत और उम्मीदों का प्रतीक बन जाएगा। लोहड़ी का यह पर्व केवल आनंद और उत्सव का समय नहीं है, बल्कि यह खेती और ग्रामीण जीवन के नए आयामों का भी प्रतीक है। यह समय किसानों के लिए उत्साह और नए प्रयोग करने का अवसर लेकर आता है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की पहल से न केवल किसान अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकते हैं, बल्कि युवा भी खेती की ओर आकर्षित होंगे। इस दिशा में मूंगफली की खेती एक प्रेरक मॉडल बन सकती है।
लोहड़ी के आगमन के साथ ही किसानों की मेहनत और नए प्रयासों का परिणाम देखने को मिलेगा। इस पर्व के उत्सव के दौरान किसान अपने खेतों में नई फसल की बुआई का आनंद और उत्साह अनुभव करेंगे, जो आने वाले समय में उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगा।
इस प्रकार, मोगा जिले में कृषि विभाग की यह पहल केवल फसली विविधता बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण रोजगार, किसानों की आय, और युवा सशक्तिकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। लोहड़ी के इस अवसर पर किसानों की नई उम्मीदें और प्रयास उजागर होते हैं, और यह निश्चित रूप से जिले के कृषि परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करेंगे।

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