गन हाउस मामले की जांच पूरी कर रिपोर्ट डीसी को सौंपी
। गन हाउस के संचालक के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में केस दर्ज होने के बावजूद उसका असलहा लाइसेंस रिन्यू करने के मामले की जांच रिपोर्ट डीएसपी (डी) परसन ने डीसी को सौंप दी है।

सत्येन ओझा.मोगा
गन हाउस के संचालक के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में केस दर्ज होने के बावजूद उसका असलहा लाइसेंस रिन्यू करने के मामले की जांच रिपोर्ट डीएसपी (डी) परसन ने डीसी को सौंप दी है। उन्होंने पुष्टि की कि खामियां थीं, जांच रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, लेकिन विस्तृत रिपोर्ट बताने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि मामला गोपनीय है। उधर सूत्रों का कहना है कि इस पूरे प्रकरण में विभाग के कई लोग फंसे होने के कारण मामले को सार्वजनिक से अधिकारी बच रहे हैं।
यह है मामला
शहर के न्यू टाउन क्षेत्र में नियमों के खिलाफ एक ही इमारत में चल रहे दो गन हाउस का मामला पिछले काफी समय से चर्चाओं में है। गन कंपनी का साल 2013 से लेकर 2016 तक का रिकार्ड जिला प्रशासन की असलहा ब्रांच से पिछले एक साल से गायब बताया जा रहा था। इस बीच दैनिक जागरण के हाथ महत्वपूर्ण दस्तावेज लगा जिसमें जिला मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर से गन हाउस के मालिक के खिलाफ धोखाधड़ी मामले में केस दर्ज होने के कारण उनके नाम में मामूली अंतर रिकार्ड में दर्ज कर लाइसेंस रिन्यू कर दिया गया था, नियमानुसार आपराधिक केस दर्ज होने की अवधि में गन हाउस का लाइसेंस रिन्यू नहीं किया जा सकता है।
जिस अवधि में गन हाउस के लाइसेंस रिन्यू किया जाता रहा, उस दौरान लाइसेंस धारक पर धारा-420 एवं अन्य संगीन मामलों में 2013 में एफआइआर दर्ज हुई थी, केस खत्म नहीं हुआ था। केस 2016 में जाकर खत्म हुआ था। असलहा ब्रांच के रिकार्ड में गन हाउस व गन कंपनी जिस इमारत में संचालित होने का नक्शा दिया गया है, उस बिल्डिंग में एक ब्रांडेड कंपनी के शो रूम चल रहे हैं।
नियमानुसार किसी भी व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज हो तो उसे असलहा दुकान का लाइसेंस नहीं मिल सकता है। ये मामला इसलिए भी बहुत संवेदनशील है क्योंकि बड़ी संख्या में अत्याधुनिक किस्म के हथियार अपराधियों तक पहुंच रहे हैं, मोगा पुलिस पिछले कुछ सालों में गैंगस्टर के खिलाफ कार्रवाई में बड़े पैमाने पर अत्याधुनिक असलाह पकड़ा जाता रहा है। विधानसभा चुनाव आते ही
जिला प्रशासन ने लाइसेंस धारकों का असलहा जमा करना तो शुरू कर दिया, लेकिन जिला प्रशासन के स्तर पर हुई बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के मामले को अधिकारी दबाकर बैठे हुए हैं।

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