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    मोगा: बुट्टर गांव में रिम्पा सिंह की अनोखी पहल, 5 साल से 72 एकड़ में बिना पराली जलाए खेती कर पर्यावरण के लिए बने मिसाल

    Updated: Sun, 26 Oct 2025 03:47 PM (IST)

    मोगा जिले के बुट्टर गाँव के किसान रिम्पा सिंह पिछले 5 सालों से 72 एकड़ में पराली जलाए बिना खेती कर रहे हैं। वे सुपर एसएमएस कंबाइन और मल्चर जैसे आधुनिक उपकरणों का उपयोग करते हैं। रिम्पा सिंह का कहना है कि पराली खेत के लिए खाद का काम करती है और सरकार किसानों को पर्यावरण अनुकूल उपकरण उपलब्ध करवा रही है, जिससे पराली जलाना अब जरूरी नहीं है।

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    बुट्टर गाँव के किसान रिम्पा सिंह पिछले 5 सालों से 72 एकड़ में पराली जलाए बिना खेती कर रहे हैं (फोटो: जागरण)

    संवाद सहयोगी, मोगा। धान की पराली जलाने से जहां मानव स्वास्थ्य को कई बीमारियों का खतरा होता है, वहीं पर्यावरण और खेत की मिट्टी पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी, जिला मोगा के सहयोग से बुट्टर गांव के किसान रिम्पा सिंह पिछले 5 सालों से पराली जलाए बिना 72 एकड़ में पर्यावरण के अनुकूल खेती कर रहे हैं।

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    किसान रिम्पा सिंह बताते हैं कि सुपर एसएमएस कंबाइन से धान की कटाई के बाद, पराली को मल्चर से खेत में मिला दिया जाता है। इसके बाद वह रोटावेटर, फिर हल और फिर रोटावेटर से खेत की जुताई करते हैं। उन्होंने बताया कि इस विधि से उन्हें बहुत लाभ हुआ है।

    खेत में केंचुए बनने लगे हैं, जिससे मिट्टी की सेहत भी सुधर रही है, जिससे मिट्टी में उचित तापमान और नमी बनी रहती है और खरपतवारों की पैदावार भी कम होती है। प्रगतिशील किसान रिम्पा सिंह ने बताया कि पराली खेत की कोई अतिरिक्त चीज नहीं है, बल्कि यह खेत के लिए खाद का काम करती है और उसकी उर्वरता बढ़ाती है।

    सरकार के नए आधुनिक कृषि उपकरणों से पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ती, इससे अगली फसल बहुत कुशलता से बोई जा सकती है। रिम्पा सिंह पशुपालन के सहायक व्यवसाय को भी बहुत सुचारू रूप से चला रही हैं।

    किसान रिम्पा सिंह ने कहा कि सभी किसानों को अपनी आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ वातावरण प्रदान करने के लिए पराली जलाना बंद कर देना चाहिए क्योंकि पराली न जलाने से अगली फसल की बिजाई में कोई दिक्कत नहीं आती क्योंकि अब कृषि विभाग ने किसानों को पर्यावरण अनुकूल कृषि उपकरण उपलब्ध करवाए हैं, इससे धान की पराली के निपटान के लिए गांठें बनाने जैसी अन्य व्यवस्थाएं भी की जा सकती हैं।

    जिससे पराली आय का स्रोत बन रही है। उन्होंने जिले के किसानों से अपील की कि वे पंजाब को शून्य पराली जलाने वाला राज्य बनाने में योगदान दें। मोगा के डिप्टी कमिश्नर सागर सेतिया ने कहा कि वह रिम्पा सिंह और ऐसे हर किसान की सराहना करते हैं जो पराली जलाए बिना खेती कर रहे हैं।

    उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन और पंजाब सरकार हर किसान को पराली के निपटान के लिए मदद कर रही है और जिले में पर्यावरण अनुकूल कृषि उपकरण भी सब्सिडी पर पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं।