सत्ता के साथ संतुलन बनाना नई निगम कमिश्नर के लिए होगी बड़ी चुनौती
। नगर निगम की नई कमिश्नर के रूप में साल 2016 बैच की आइएएस अधिकारी अमरप्रीत कौर संधू ने बुधवार को पदभार संभाल लिया।

जागरण संवाददाता.मोगा
नगर निगम की नई कमिश्नर के रूप में साल 2016 बैच की आइएएस अधिकारी अमरप्रीत कौर संधू ने बुधवार को पदभार संभाल लिया। वे निगम परिसर में सुबह करीब साढ़े नौ बजे पहुंच गई थीं। कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने निगम के सभी अधिकारियों का औपचारिक रूप से परिचय हासिल किया। इसी दौरान मेयर नीतिका भल्ला, सीनियर डिप्टी मेयर प्रवीन कुमार पीना, डिप्टी मेयर अशोक धमीजा ने नई निगम कमिश्नर का स्वागत किया। म्यूनिसिपल फेडरेशन के अध्यक्ष सेवक राम फौजी के नेतृत्व में निगम के सभी कर्मचारी संगठनों ने भी उनका स्वागत किया।
नवनियुक्त निगम कमिश्नर अमरप्रीत कौर संधू के सामने सियासी संतुलन बनाना बड़ी चुनौती होगा। अभी तक मोगा में बाहर के ठेकेदारों के न जाने से स्थानीय ठेकेदारों का एकाधिकार बना हुआ है। यही नहीं, उन पर निगम के अधिकारियों का अंकुश लगभग खत्म हो चुका है, इस समय भी ठेकेदार हड़ताल पर चल रहे हैं, नई निगम कमिश्नर को इस स्थिति को संभालना बड़ी चुनौती होगी। मोगा नगर निगम में नगर कौंसिल के समय से सत्ता में रहने वाले विधायकों का सबसे ज्यादा हस्तक्षेप रहा है, जबकि नगर निगम में विधायक की कोई भूमिका नहीं होती है, सिर्फ निगम के पदेन सदस्य होते हैं। निगम की सत्ता व प्रदेश की सत्ता में दो अलग-अलग राजनीतिक दल होने की स्थिति में चौधराहट की जंग ज्यादा बढ़ जाती है। इस समय निगम की सत्ता में कांग्रेस पार्टी काबिज है, जबकि प्रदेश की सत्ता में आम आदमी पार्टी (आप) है। 50 वार्डों वाले नगर निगम में आप के सिर्फ तीन पार्षद हैं, ऐसे में इस पार्टी के लिए निगम की सत्ता तक पहुंचना दूर की कौड़ी है, लेकिन विधायक खेमे की तरफ से दखलअंदाजी काफी ज्यादा रहती है। ये पहला मौका नहीं है, बल्कि पहले भी ये होता आया है। जब तक नगर कौंसिल के रूप में अध्यक्ष डा.कुलदीप सिंह गिल रहे, उस समय शहर में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के दिग्गज नेता जत्थेदार तोता सिंह थे। उस समय तोता सिंह ने अपने पद की गरिमा को कायम रखते हुए नगर निगम के कामकाज में ज्यादा दखलअंदाजी नहीं की। खुद डा.कुलदीप सिंह सख्त प्रशासक थे, वे किसी के दबाव में नहीं आते थे, यहां तक कई बार तो तोता सिंह की सलाह को भी नकार देते थे। बहुत कम मौके थे जब तोता सिंह निगम परिसर में आए। उसके बाद विधायक बने जोगिदर पाल जैन हों या फिर डा.हरजोत कमल सब का फोकस निगम पर रहा।
तोता सिंह की सोच निगम से परे रही
जत्थेदार तोता सिंह निगम को कभी फोकस नहीं बनाया, यही वजह है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में जिला मुख्यालय, बस टर्मिनल, स्पोर्ट्स स्टेडियम, मेन सीवरेज लाइन, पावर ग्रिड स्टेशन जैसे बड़े प्रोजेक्ट मोगा को उनके कार्यकाल में मिले, क्योंकि उनका फोकस विधानसभा में रहा। उनके बाद बने विधायकों में भले जोगिदर पाल जैन राजनीतिक की हर दिशा को अपने हिसाब से मोड़ते रहे, लेकिन मोगा को कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं दिला सके। यही वजह है कि जिला बनने के 26 साल बाद भी मोगा को पुलिस लाइन, ज्यूडिशियल कांप्लेक्स, तहसीलों में सब डिवीजन स्तर के अस्पताल नहीं मिल सके हैं। 10 लाख की आबादी वाले जिले में खेल के नाम पर सिर्फ एक कोच है। 25 सालों में पावर ग्रिड स्टेशन भी अब हांफने लगे हैं। जत्थेदार तोता सिंह के बाद कोई नया पावर ग्रिड स्टेशन शहर में नहीं बना।
राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद जिले में चारों सीटें आप की झोली में परिवर्तन की उम्मीद में डाल दी थीं, लेकिन स्थितियां बदलती नहीं दिख रही हैं। इस बार भी आप का फोकस भी निगम की सत्ता तक सीमित होकर रह गया है। अधिकारी भी सत्ता बदलने के बाद मेयर से ज्यादा विधायक को तरजीह देते रहे हैं, मेयर से पूछे बिना फैसले लेते रहे हैं, अब निगम कमिश्नर के रूप में पहली बार आइएएस अधिकारी के रूप में अमरप्रीत कौर संधू ने पदभार संभाला है, उनके सामने सत्ता का संतुलन बनाए रखना ही सबसे बड़ी चुनौती होगा।
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