फलदार पौधों से नई जिदगी व आर्थिक ताकत
मोगा कुछ सालों में जिले में फलदार पेड़ लगाने का रुझान काफी ज्यादा बढ़ा है। हालांकि अभी जिन लोगों ने फलदार पेड़ लगाए हैं उन्होंने अभी इसका व्यवसाय तो शुरू नहीं किया है लेकिन भविष्य में इससे उनहें बड़ी उम्मीदें हैं। इन्हीं में मोगा के व्यवसायी तरलोक जिदल (65 साल) व गांव डाला के किसान अमरजीत सिंह शर्मा (60 साल) प्रमुख हैं।
सत्येन ओझा/अश्वनी शर्मा, मोगा
कुछ सालों में जिले में फलदार पेड़ लगाने का रुझान काफी ज्यादा बढ़ा है। हालांकि अभी जिन लोगों ने फलदार पेड़ लगाए हैं, उन्होंने अभी इसका व्यवसाय तो शुरू नहीं किया है, लेकिन भविष्य में इससे उनहें बड़ी उम्मीदें हैं। इन्हीं में मोगा के व्यवसायी तरलोक जिदल (65 साल) व गांव डाला के किसान अमरजीत सिंह शर्मा (60 साल) प्रमुख हैं।
सीनियर सिटीजन एवं व्यवसायी तरलोक जिदल ने सात साल तक योग करके व ऑर्गेनिक विधि से लगाए फल व सब्जियों का सेवन कर शुगर पर विजय पाई है। शुगर के साथ लड़ाई में न्यू फ्रैंडस कॉलोनी में तरलोक जिदल एक खूबसूरत बाग भी तैयार कर चुके हैं, जिसमें नारंगी, अंजीर, जामुन, अनार, चकोतरा, संतरा, अमरूद, पपीता, आंवले के पौधे प्रमुख हैं। तरलोक जिदल अभी तक तो बगीचे में लगे पौधों के फल लोगों को बांटते रहे हैं। मगर, अब वे इन पौधों के औषधीय महत्व व अधिक मात्रा में फलों के लगने के बाद इससे व्यावसायिक लाभ कमाने की सोचने लगे हैं।
तरलोक जिदल बताते हैं कि बगीचे ने न सिर्फ उन्हें नई जिदगी दी है बल्कि उम्र के इस पड़ाव में कमाई की भी नई उम्मीद जगाई है। अब तो उनकी हर सांस इस बगीचे को समर्पित है। इसी में वे अपनी जिदगी के आनंद को देखते हैं।
तरलोक जिदल ही नहीं बल्कि पिछले दस सालों से ऑर्गेनिक विधि से सब्जियों की खेती कर रहे गांव डाला के किसान अमरजीत सिंह शर्मा ने भी कुछ सालों से नया प्रयोग शुरू किया है। उन्होंने अपने आर्गेनिक सब्जियों वाले खेतों की मेड़ पर फलदार पौधे नीबू, अमरूद, एप्पल बेर, खजूर के पौधे भी लगाए हैं। ऑर्गेनिक विधि से सब्जियां उगाकर अमरजीत शर्मा ने अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारा है। इन दिनों में उनके खेत में एप्पल बेर का पौधा फल से पूरी तरह लदा है। इस पर पहली बार बेर लगे हैं। वह इस बार तो नहीं लेकिन अगली बार इनकी बिक्री करेंगे। अगले साल तक नीबू, अमरूद, खजूर व किन्नू के पौधे भी उनके लिए व्यवसाय का नया रास्ता खोलेंगे।
अमरजीत सिंह बताते हैं कि खेती जब घाटे का सौदा बन गई थी, तब उन्होंने पहले ऑर्गेनिक विधि से सब्जियां उगाकर अपने आर्थिक हालात को बेहतर किया था। आगामी दिनों में उनके द्वारा लगाए फलदार पौधे उन्हें आर्थिक रूप से और भी ज्यादा मजबूत बनाएंगे। इसी उम्मीद के साथ वे अपने खेतों में हर साल फलदार पौधों की संख्या बढ़ाते जा रहे हैं। पहली बार एप्पल बेर व किन्नू में उन्हें काफी सफलता मिली है। हालांकि पिछले साल उन्होंने केसर की खेती भी की थी, लेकिन उसमें घाटा होने के कारण फिलहाल फलदार पौधों पर ध्यान ज्यादा देना शुरू कर दिया है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।