सुविधा केंद्रों में कोरियर के नाम पर घोटाला
मोगा सुविधा केंद्र में कोरियर के नाम पर घोटाला सामने आया है। हर केंद्र पर डिलीवरी काउंटर है। मगर हर प्रमाण पत्र या अन्य डाक्यूमेंट (दस्तावेज) लेने के लिए भले ही सेवा लेने वाला व्यक्ति डिलीवरी काउंटर से अपना प्रमाण पत्र लेकर जाए लेकिन उसके सुविधा केंद्र पर अनिवार्य रूप से कोरियर के चार्जेज के लिए शहरी क्षेत्र के लिए 50 रुपये व देहात के लिए 75 रुपये वसूले जाते हैं। बाद में सुविधा केंद्र में ही डाकखाने से डाकिया बुलाकर उसे प्रति स्पीड पोस्ट 22 रुपये के हिसाब से भुगतान कर दिया जाता है। हाल ही में सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) के तहत कोरियर घोटाले का राजफाश हुआ है।

सत्येन ओझा, मोगा
सुविधा केंद्र में कोरियर के नाम पर घोटाला सामने आया है। हर केंद्र पर डिलीवरी काउंटर है। मगर, हर प्रमाण पत्र या अन्य डाक्यूमेंट (दस्तावेज) लेने के लिए भले ही सेवा लेने वाला व्यक्ति डिलीवरी काउंटर से अपना प्रमाण पत्र लेकर जाए, लेकिन उसके सुविधा केंद्र पर अनिवार्य रूप से कोरियर के चार्जेज के लिए शहरी क्षेत्र के लिए 50 रुपये व देहात के लिए 75 रुपये वसूले जाते हैं। बाद में सुविधा केंद्र में ही डाकखाने से डाकिया बुलाकर उसे प्रति स्पीड पोस्ट 22 रुपये के हिसाब से भुगतान कर दिया जाता है। हाल ही में सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) के तहत कोरियर घोटाले का राजफाश हुआ है।
आरटीआइ के तहत जब कोरियर के नाम पर वसूली गई राशि की डिटेल मांगी, तो एक साल बाद कोरियर में खाली लिफाफे लोगों के घरों में भेजने शुरू कर दिए। लिफाफे में सिर्फ एक पर्ची निकल रही है, जिस पर लिखा होता है कि संबंधित दस्तावेज वे पहले ही काउंटर से ले चुके हैं।
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केस.1 : कोरियर में सिर्फ स्लिप
गुरमुख सिंह पुत्र जीत सिंह निवासी बुक्कनवाला ने असलहा लाइसेंस के रिन्युअल के लिए सुविधा केंद्र में अप्लाई किया था। 21 नवंबर, 2019 को उन्होंने डिलीवरी काउंटर से अपनी रिन्युअल की रसीद हासिल कर ली थी। गुरमुख सिंह से कोरियर की दर 75 रुपये अप्लाई के साथ ही जमा करा ली थी। 29 अगस्त को उनके पास कोरियर भेजा गया, जिसके लिफाफे में एक स्लिप निकली थी। जिसमें लिखा था कि वे अपना दस्तावेज काउंटर से रिसीव कर चुके हैं।
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केस. 2 : एक साल बाद स्पीडपोस्ट भेजी
बलबीर सिंह पुत्र बलजीत सिंह निवासी सूरज नगर उत्तरी मोगा से भी असलहा लाइसेंस के लिए अप्लाई करते समय कोरियर की दर 50 रुपये वसूल ली गई थी। लाइसेंस रिन्युअल का दस्तावेज उन्होंने काउंटर से एक साल पहले रिसीव कर लिया था। एक साल बाद उन्हें 18 जनवरी को उन्हें स्पीडपोस्ट से खाली लिफाफे में एक रसीद भेजी गई, जिसमें लिखा गया था कि संबंधित दस्तावेज उन्होंने काउंटर से रिसीव कर लिया है।
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क्यों भेजे एक साल बाद कोरियर
दशमेश नगर निवासी मोहिदर सिंह ने आरटीआइ के तहत सुविधा सेंटर से एक साल की अवधि में असलहा लाइसेंस की मद में कुल भेजे गए कोरियर की सूचना मांगी थी। कंपनी के प्रबंधकों ने इस मामले में खुद को फंसते देख पिछले एक साल में जिन लोगों से कोरियर के नाम पर 50 रुपये व 75 रुपये की फीस वसूली थी और डिलीवरी काउंटर से की गई, से बचने के लिए एक साल बाद धड़ाधड़ स्पीड पोस्ट भेजे। आरटीआइ के तहत दी गई जानकारी में बताया गया था कि एक साल में उन्हें असलहा लाइसेंस की मद से कोरियर के नाम पर लगभग पांच लाख रुपये की राशि वसूली गई है। कोरियर के नाम पर वसूली सिर्फ असलहा लाइसेंस के लिए नहीं होती बल्कि सभी सेवाओं में कोरियर के नाम पर वसूली होती है और डिलीवरी काउंटर से कर दी जाती है। ऐसा करते हुए सुविधा सेंटर पर सेवा देने वाली कंपनी ने सरकारी खजाने को भी चूना लगाया। लोगों से उन्होंने 50 व 75 रुपये वसूले, जबकि स्पीड पोस्ट के लिए डाकखाने में 22 रुपये की दर से कीमत चुकाई।
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