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    सनातन धर्म शिव मंदिर में श्री राधा-कृष्ण की लीला सुन मोहित हुए श्रद्धालु

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 29 Aug 2021 02:55 PM (IST)

    । श्री सनातन धर्म मंदिर एवं इंस्टीट्यूशंस प्रबंधक कमेटी की ओर से करवाई जा रही श्रीमद्भागवत कथा में भक्तों ने श्री कृष्ण की अलग-अलग लीलाओं का आनंद लिया।

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    सनातन धर्म शिव मंदिर में श्री राधा-कृष्ण की लीला सुन मोहित हुए श्रद्धालु

    संवाद सहयोगी, मोगा

    श्री सनातन धर्म मंदिर एवं इंस्टीट्यूशंस प्रबंधक कमेटी की ओर से करवाई जा रही श्रीमद्भागवत कथा में भक्तों ने श्री कृष्ण की अलग-अलग लीलाओं का आनंद लिया। भगवान की मनमोहक झांकियां आकर्षण का केंद्र रहीं। जन्माष्टमी के पावन पर्व के उपलक्ष्य में भक्तजन अपने घरों से सजाकर लाए झूले में विराजे लड्डू गोपाल ने मंत्रमुग्ध किया।

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    इस दौरान जतिन मुरली ने छोटी छोटी गइया. छोटे छोटे ग्वाल. छोटो सो मेरो मदन गोपाल, मैं नचना मोहन दे नाल अज्ज मैनू नच्च लेन दे आदि भजनों के साथ ऐसी मस्ती बिखेरी कि समागम स्थल आस्था की त्रिवेणी बन गया। कथा करते हुए पंडित पवन कुमार गौतम ने ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार श्री राधा कृष्ण की महिमा का गायन करते हुए संक्षिप्त चरित्र का वर्णन किया। पंडित पवन गौतम ने कहा कि जब पृथ्वी पर पापों का बोझ बढ़ा तो उस समय पृथ्वी, ब्रह्मा, महेश और अन्य देवता भगवान नारायण से पृथ्वी का भार उतारने के लिए प्रार्थना करने लगे। तब नारायण जी ने सभी देवताओं से कहा कि बैकुंठ लोक से ऊपर गोलोक धाम में श्री कृष्ण विराजमान रहते हैं। सभी वहां जाएं तो सब देवता नारायण जी के साथ गोलोक धाम पहुंचे। वहां पर दिव्य तेज पुंज के बीच उन सभी को श्री राधा कृष्ण के दर्शन हुए। देवताओं ने उन्हें प्रणाम कर भूमि का भार उतारने की प्रार्थना की। तब भगवान श्री कृष्ण ने सभी देवी देवताओं से मृत्युलोक में प्रकट होने को कहा जिसमें पार्वती योग माया के रूप में नंद बाबा के घर, लक्ष्मी रुकमणी बनकर भीष्मक के घर, स्वयं भगवान वासुदेव जी के घर प्रकट हुए। उस समय राधा उदास होकर प्रभु से अपने लिए भी प्रार्थना करने लगी। तब भगवान कृष्ण ने राधा से कहा कि उनके बिना वह अधूरे हैं। तुम वृषभानु एवं कलावती के घर में प्रकट होगी। भगवान की आज्ञा अनुसार सभी देवी देवता श्री राधा कृष्ण सहित पृथ्वी पर अवतार लेकर आए। एक बार नंद बाबा कन्हैया जी को गोद में लेकर जंगल में जा रहे थे कि प्रभु इच्छा से अचानक बहुत तेज आंधी व बारिश शुरू हो गई। नंद बाबा बालकृष्ण को लेकर चितित होने लगे। तभी राधे रानी वहां प्रकट हुई जिससे नंद बाबा जी ने पहचान लिया और उनसे प्रार्थना की कि है पराशक्ति राधे वह तुम दोनों के बारे में महर्षि गर्ग जी से जान चुके हैं। तुम अपनी इच्छा से कृष्ण को ले जा सकती हो। तब बाल कृष्ण को लेकर राधा रानी भांडीरवन में गई और वहां अपनी माया से उसने बहुत सुंदर मंडप बनाया। कृष्ण जी भी तत्काल युवावस्था में आ गए। उस समय ब्रह्मा जी ब्रह्मलोक से पहुंचे और उन्होंने वैदिक मर्यादा से स्वयं राधा जी का कन्यादान करके भगवान कृष्ण जी के हाथ में दे दिया और वैदिक मर्यादा से अन्य विवाह की रस्मों को सम्पन्न करवाया। श्री राधा कृष्ण के विवाह का ये प्रसंग सुनकर भक्तजन बड़े प्रसन्न हुए। कथा में महिला संकीर्तन मंडली ने बन तितली मैं उडदी फिरां आदि भजन पेश कर अपनी हाजिरी लगाई। मंदिर कमेटी की ओर से देवेन्द्र कुमार गुप्ता, मनमोहन कृष्ण जिदल, अशोक कुमार बांसल, पवन गोयल और अमरजीत अग्रवाल ने आरती में भाग लिया।

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