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    आयुर्वेदिक दवा के नाम पर बेचा जा रहा नशा

    By Edited By:
    Updated: Thu, 22 Mar 2012 01:05 AM (IST)

    प्रेम शर्मा, मोगा

    प्रदेश में नशे के तौर पर प्रयोग होने वाली एलोपैथिक दवाएं जहां पहले ही युवा पीढ़ी को नशे की दलदल की ओर धकेल रही हैं, वहीं, अब आयुर्वेदिक दवा के नाम पर बिकने वाले भांग ने इसमें और बढ़ावा कर दिया है।

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    यद्यपि एलोपैथिक दवाओं के जहां सिर्फ मेडिकल स्टोरों में ही उपलब्ध होने से प्रशासन दवा विक्रेताओं पर छापामारी कर नकेल कसता रहता है, तथापि आयुर्वेदिक दवाएं तो सिगरेट व पान की दुकानों समेत करियाना की दुकानों पर भी आसानी से मिल जाती हैं।

    गौरतलब है कि प्रदेश में आजकल अफीम, भुक्की, स्मैक तथा नशे के तौर पर प्रयोग होने वाली एलोपैथिक दवाओं का प्रचलन आम बना हुआ है। अब आयुर्वेदिक दवा के नाम पर खुले में बिकने वाले दवा ने जहां युवा वर्ग को तेजी से अपनी चपेट में ले लिया है। वहीं सस्ते में मिलने वाली यह दवा युवाओं समेत बेचने वालों के लिए फायदे का सौदा बन रही है। इसे इलाहाबाद की एस. फार्मास्यूटिकल्स नामक एक कंपनी श्री भोला मुनक्का (मोहित) के नाम से 40 पाउचों के एक पैकेट में बेचा जा रहा है । इसकी थोक कीमत 30 रुपये है। इसे खरीद कर दुकानदार दो रुपये प्रति पाउच बेच रहे हैं। पांच ग्राम के इस पाउच में शुद्ध विजया भांग 25 प्रतिशत व मुनक्का 20 फीसदी समेत अन्य मिश्रण हैं।

    इस संबंध में बुधवार को पूछे जाने पर आयुर्वेदिक माहिर डा.दीपक कोछड़ ने कहा कि भांग का लगातार सेवन करने वाले व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक तथा यौन शक्ति प्रभावित होती है। इससे जहां शरीर की कार्य क्षमता घटती है, वहीं याददाश्त खत्म होने समेत व्यक्ति नपुसंक होकर रह जाता है।

    इस संबंध में जिला आयुर्वेदिक अफसर डा. एसएस बराड़ का कहना है कि वे आज किसी कार्यवश चंडीगढ़ में डायरेक्टर आयुर्वेदा के कार्यालय आए हुए हैं, लेकिन डायरेक्टर के कार्यालय से बाहर हैं। ऐसे में वे उनसे मिल सारा मामला जानकर उचित कार्रवाई अमल में लाएंगे।

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