कौन हैं शमशुद्दीन चौधरी, जिन्होंने पूर्व DGP पर दर्ज कराया केस; अकाली दल और AAP से निकला कनेक्शन
शमशुद्दीन चौधरी ने पंजाब के पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा पर अपने बेटे की मौत के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई है। उनका आरोप है कि उनके बेटे की हत्या में शामिल थे। इसके साथ ही उनकी पत्नी रजिया सुल्ताना, बहन और पत्नी के खिलाफ उनके बेटे अकील अख्तर की मौत के सिलसिले में मामला दर्ज किया है।

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डिजिटल डेस्क, लुधियाना। संगरूर के अंतर्गत मलेरकोटला के शमशुद्दीन चौधरी की शिकायत के बाद हरियाणा पुलिस ने पंजाब के पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा और उनकी पत्नी रजिया सुल्ताना के खिलाफ उनके बेटे अकील अख्तर की मौत के सिलसिले में मामला दर्ज किया है।
चौधरी, एक पशु-चारा व्यापारी, जो मृतक के परिवार का पड़ोसी होने का दावा करते हैं। वह पहले मलेरकोटला से आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक से जुड़े थे। उनका कनेक्शन कई राजनीतिक दलों से भी रहा है। सोशल मीडिया अकाउंट पर पंजाब के प्रमुख राजनीतिक नेताओं के साथ उनकी तस्वीरें देखी जा सकती हैं।
साल 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों के दौरान, चौधरी ने मलेरकोटला से आप उम्मीदवार मोहम्मद जमील-उर-रहमान के लिए प्रचार किया था। जमील-उर-रहमान ने ही तीन बार की कांग्रेस विधायक रजिया सुल्ताना को हराया था।
पंचकूला आवास में पाए गए थे मृत
मुस्तफा की पत्नी सुल्ताना पिछली कांग्रेस सरकार में मंत्री थीं। मुस्तफा और सुल्ताना पर पंचकूला पुलिस ने उनके 35 साल के बेटे की मौत के सिलसिले में मामला दर्ज किया है। अख्तर 16 अक्टूबर को अपने पंचकूला स्थित आवास पर मृत पाए गए थे। मृतक की पत्नी और बहन के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।
चौधरी द्वारा अख्तर की मौत में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराने के बाद, 20 अक्टूबर को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 103(1) और धारा 61 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।
मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करने वाली पंचकूला पुलिस ने मंगलवार को कहा कि शिकायतकर्ता ने उन्हें बताया था कि वह परिवार को अच्छी तरह से जानता है।
क्या बोले मलेरकोटला आप विधायक
बुधवार को संपर्क करने पर, मलेरकोटला से आप विधायक जमील-उर-रहमान ने कहा कि चौधरी ने 2022 के चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी के लिए काम किया था, लेकिन बाद में उनके और संगठन के बीच दूरी बढ़ गई। रहमान ने कहा कि वह थोड़े समय के लिए हमारे साथ थे। उससे पहले, वह अकाली दल के कार्यकर्ता थे।
उन्होंने इस बात से साफ इनकार किया कि चौधरी कभी उनके निजी सहायक (पीए) थे। विधायक ने कहा कि उनके खिलाफ इतनी शिकायतें मिलने के बाद, मुझे अपने कार्यालय में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालांकि, चौधरी ज़ोर देकर कहते हैं कि वह केवल अख्तर की मौत के पीछे की सच्चाई सामने लाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मैं परिवार को अच्छी तरह जानता हूं। यह राजनीति का मामला नहीं है।
1985 बैच के सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी मुस्तफा पंजाब के पुलिस महानिदेशक (मानवाधिकार) रह चुके हैं। जब पंजाब में कांग्रेस सत्ता में थी।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ)

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