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    डेरा राधा स्वामी ब्यास में VIP कल्चर खत्म, सबको मिलेगा समान दर्जा; बदलाव पर क्या बोले संगत

    Updated: Fri, 17 Jan 2025 11:47 PM (IST)

    राधा स्वामी सत्संग ब्यास ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अपने केंद्रों में वीआईपी कल्चर को खत्म कर दिया है। अब सभी श्रद्धालु एक समान स्थान पर बैठेंगे और किसी भी प्रकार का विशेषाधिकार नहीं होगा। इस बदलाव से संगत में समानता और एकजुटता का माहौल बनेगा। संगत ने भी इस बदलाव को सराहा है साथ ही कहा कि इससे अलग तस्वीर पेश होगी।

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    डेरा राधा स्वामी ब्यास में बड़ा बदलाव। (फाइल फोटो)

    संवाद सहयोगी, लुधियाना। राधा स्वामी सत्संग ब्यास ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए अपने केंद्रों में वीआईपी कल्चर को खत्म कर दिया है। इसका उद्देश्य संगत में सभी को समान महत्व देना और आध्यात्मिक एकता को प्रोत्साहित करना है।

    पहले सत्संग के दौरान वीआईपी के लिए विशेष बैठने की व्यवस्था और पास जारी किए जाते थे। नए नियमों के अनुसार सभी श्रद्धालु एक समान स्थान पर बैठेंगे और किसी भी प्रकार का विशेषाधिकार नहीं होगा। संगत ने इसे एक सराहनीय कदम बताया है। संगत का कहना है कि यह बदलाव सभी को समानता और एकजुटता का अनुभव कराएगा।

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    कौन हैं जसदीप सिंह गिल

    बता दें कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास (RSSB) ने 2 अगस्त को अपना नया उत्तराधिकारी की घोषणा कर दी थी। आध्यात्मिक सत्संग संगठन का नया प्रमुख जसदीप सिंह गिल को बनाया गया है।

    इससे पहले संगठन के प्रमुख गुरिंदर सिंह ढिल्लों थे। राधा स्वामी सत्संग ब्यास की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, अब जसदीप सिंह गिल (Jasdeep Singh Gill) राधा स्वामी सत्संग ब्यास (Radha Swami Satsang Beas) के नए सतगुरु के रूप में आध्यात्मिक नेता की भूमिका निभाएंगे। वह अब गुरु दीक्षा दे सकेंगे।

    बीते कुछ वर्षों से गुरिंदर सिंह ढिल्लों कैंसर की बीमारी का सामना कर रहे हैं। इसके अलावा वह हृदय रोग से भी पीड़ित हैं। इसी वजह से उन्होंने राधा स्वामी सत्संग ब्यास (Dera Radha Soami) का नया प्रमुख जसदीप सिंह गिल को बनाया गया।

    केमिकल इंजीनियरिंग में मास्टर्स की डिग्री 

    जसदीप सिंह गिल की उम्र 45 साल है। उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से केमिकल इंजीनियरिंग में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की है। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उनके पिता का नाम सुखदेव सिंह गिल है। उन्होंने गिल सिपला में मुख्य रणनीति अधिकारी और वरिष्ठ प्रबंधन कार्मिक के रूप में अपनी भूमिका निभाई है।

    30 एकड़ तक जमीन व संस्थागत ढांचा हस्तांतरण की स्वीकृति

    बता दें कि प्रदेश में अब धर्मार्थ, धार्मिक व आध्यात्मिक संस्थाओं को 30 एकड़ तक जमीन व संस्थागत ढांचा हस्तांतरण की स्वीकृति दे सकेगी। विधानसभा में हिमाचल प्रदेश भू-जोत अधिकतम सीमा संशोधन विधेयक 2024 ध्वनिमत से पारित हुआ था।

    यह भी पढ़ें- जसदीप सिंह गिल से पहले डेरे के रह चुके हैं 5 प्रमुख, कोई 3 साल तक तो किसी ने 45 सालों तक संभाली गद्दी; पढ़ें पूरा इतिहास

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