वर्धमान ग्रुप के मालिक से 7 करोड़ की ठगी: कहानी सुनते ही याद आ जाएगी स्पेशल-26, मास्टरमाइंड महिला ने ऐसे तैयार की पूरी गैंग
पंजाब के लुधियाना में वर्धमान ग्रुप के चेयरमैन एसपी ओसवाल ऑनलाइन ठगी का शिकार हो गए। आरोपियों ने इंटरनेट मीडिया के जरिए दोस्ती की और फिर ठगी को अंजाम दिया। गिरोह की मास्टरमाइंड एक महिला है जो पहले सरकारी बैंक में काम करती थी। उन्होंने यूट्यूब से सीबीआई अधिकारियों के रवैये और कार्यप्रणाली की ट्रेनिंग ली और फिर बाकी साथियों को प्रशिक्षित किया।
गगनदीप रत्न, लुधियाना। शहर के जाने माने उद्यमी वर्धमान ग्रुप के चेयरमैन व पद्मश्री एसपी ओसवाल को ऑनलाइन ठगी का शिकार बनाने वाले गिरोह के सदस्यों की दोस्ती ऑनलाइन इंटरनेट मीडिया के माध्यम से हुई थी। उसके बाद उन्होंने मिलकर इस ठगी को पेशा बनाने की सोची।
सात करोड़ की ठगी का मामला हूबहू फिल्म स्पेशल-26 की तरह मिलता-जुलता है। गिरोह की मास्टरमाइंड महिला ने खुद गैंग तैयार की व सभी को सीबीआई व एजेंसियों के अफसर बताने के लिए बाकायदा ट्रेनिंग दी।
मास्टरमाइंड ने यूट्यूब से एजेंसियों के अफसरों के रवैये और उनकी कार्यप्रणाली के बारीकियों की जानकारी एकत्रित की और फिर बाकी साथियों को इस संबंध में प्रशिक्षित किया, ताकि शिकार को किसी तरह से उसके साथ होने वाले धोखे का अहसास न हो पाए।
मास्टरमाइंड महिला पहले सरकारी बैंक में काम करती थी। ठग अपनी योजना में कामयाब भी हुए, लेकिन लालच में एक आरोपित द्वारा दिए गए खुद के ही खाते की वजह से इस ठगी को ट्रेस करने में पुलिस कामयाब रही। हालांकि पुलिस ने मामले में दो आरोपित अतनु चौधरी और आनंद चौधरी को गिरफ्तार किया है।
हालांकि, अभी इस मामले में सरगना समेत सात आरोपित पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं। आरोपितों से 5.25 करोड़ रुपये, छह एटीएम और तीन मोबाइल पुलिस द्वारा बरामद किए जा चुके हैं।
बेरोजगारों व आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को गैंग में किया शामिल
पुलिस की प्राथमिक जांच और आरोपितों से पूछताछ के बाद ये सामने आया कि इस मामले की सरगना गुवाहाटी निवासी रूमी कालिता है। जोकि एक सरकारी बैंक में नौकरी करती थी। उसने इस मामले में बाकी के सभी आरोपितों अतनु चौधरी, आनंद चौधरी, आलोक रंगी, गुलाम मोरतजा, संजय सूत्रधार, रिंटू, निम्मी भट्टाचार्य और जाकिर को अपने साथ जोड़ा। ये सभी एक-दूसरे से कभी मिले नहीं और इनकी दोस्ती इंटरनेट मीडिया के माध्यम से हुई थी।
रूमी ने इनका चयन जरूरतमंद होने के आधार पर किया। इसमें से कोई बैंक का कर्जाई है, किसी के पास नौकरी नहीं है तो कोई आपराधिक प्रवृति का है। इन सभी को रूमी ने आनलाइन कान्फ्रेंस काल के जरिए जोड़कर समझाया कि वो उन्हें ट्रेनिंग देगी। अगर प्लान सिरे चढ़ा तो वह लाखों-करोड़ों के मालिक होंगे। इस पर वह राजी हो गए और सभी को उनका हिस्सा कितना होगा बता दिया गया।
इसके बाद रूमी ने खुद आनलाइन यू-ट्यूब के माध्यम से सीबीआइ अधिकारियों, पुलिस, एयरपोर्ट अथार्टी और कोर्ट की प्रक्रिया की जानकारी हासिल की। खुद सीखने के बाद उसने आनलाइन अपने बाकी के साथियों को इसकी ट्रेनिंग दी। इस क्रम में ढाई महीने का समय लग गया। इस दौरान एक ठग ने सिर्फ उन अमीर कारोबारियों के बैंक खातों और पर्सनल डिटेल्स को खंगाला, जिन्हें टारगेट किया जाना था। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्होंने वारदात को अंजाम दे दिया।
अपने ही खाते में पैसे ट्रांसफर करवाना पड़ा महंगा
इस प्लानिंग में अतनु को बैंक खाते अरेंज करने का काम दिया गया था। उसे कहा गया था कि वह उन खातों का इंतजाम करेगा, जिसमें आसानी से राशि ट्रांसफर करवाई जा सके और फिर उसमें से निकलवा कर बांटे जा सके। अतनु ने एक खाता तो फर्जी दे दिया, लेकिन फिर उसके मन में लालच आ गया कि वह अपना खाता देकर बाद में ज्यादा हिस्सा ले लेगा। उसने अपना ही बैंक खाता दे दिया, जो कि पिछले लंबे समय से वर्किंग नहीं था। जब वारदात हुई तो पुलिस ने खाते को ट्रेस किया और आरोपित तक पहुंच गई।
कमरे का माहौल पुलिस और सीबीआई के ऑफिस जैसा
आरोपितों ने जब स्काइप पर उद्योगपति एसपी ओसवाल को वीडियो कॉल की, उससे पहले कमरे का माहौल बिल्कुल पुलिस और सीबीआई के ऑफिस जैसा बनाया हुआ था। पीछे से वॉकी-टॉकी पर आने वाले मैसेज की आवाज सुनाई दे रही थी, जैसा कि पुलिस कंट्रोल रूप में होता है।
इसी से कारोबारी को भी यकीन हुआ। ठगों ने सुप्रीम कोर्ट का एक वकील भी ऑनलाइन दिखा दिया, जोकि बिल्कुल ऐसे बर्ताव कर रहा था, जैसे कि वाकई में वो उनकी तरफ से केस लड़ रहा है। कारोबारी को डराने के लिए जिन फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया वो सभी आनलाइन डाउनलोड किए थे। उनके सैंपल से हूबहू उसी तरह के आर्डर तैयार कर जाली मोहरें लगाई गई थी और एसपी ओसवाल को भेज दिए, जिससे वो ठगों के झांसे में आ गए।