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    ये है गीता का ज्ञान: रिटायर्ड बैंक मैनेजर का अनोखा जुनून, घर-घर पहुंचा रहे जीवन का संदेश

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Mon, 28 Jun 2021 11:26 AM (IST)

    गीता का ज्ञान पंजाब के बठिंडा के एक रिटायर्ड बैंक मैनेजर का जुनून अनोखा है। वह घर-घर जाकर श्री मद्भागवत गीता का ज्ञान पहुंचा रहे हैं। अब तक वह श्री मद्भागवत गीता की चार लाख से अधिक प्रतियां बांट चुके हैं।

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    बठिंडा के रिटायर्ड बैंक मैनेजर जीसी गोयल। (फाइल फोटो)

    बठिंडा, [नितिन सिंगला]। यहां के एक रिटायर्ड बैंक मैनेजर का जुनून अनोखा है। वह घर-घर जीवन का संदेश यानि श्रीमद्भागवत गीता का ज्ञान पहुंचा रहे हैं। श्रीमद् भगवद् गीता महज एक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की ऐसी कला है जिससे इंसान कर्म व धर्म को अपने अंदर उतारकर एक सफल जीवन जी सकता है। इस संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए जीसी गोयल ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।

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     अब तक देश भर में गीता प्रचार से जुड़ी चार लाख किताबें बांट चुके हैं

    बठिंडा के रहने वाले जीसी गोयल 31 अगस्त, 2016 को पंजाब नेशनल बैंक से रिटायर हुए हैं। गोयल कहते हैं कि 18 दिसंबर, 2001 की तारीख उनके जीवन में बहुत अहम है। वह रात करीब दो बजे चिंतन कर रहे थे, तो उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें किसी को गुरु बना कर लोगों को सत्य का मार्ग दिखाना चाहिए, लेकिन काफी विचार के बाद भी यह समझ में नहीं आया कि आखिर गुरु किसको बनाया जाए।

    अपनी लाइब्ररी में जीसी गाेयल।

    वह कहते हैं, 'मैं किसी व्यक्ति को गुरु नहीं बनाना चाहता था। क्योंकि कोई भी व्यक्ति संपूर्ण नहीं होता। आखिर में श्रीमद् भगवद् गीता को अपना गुरु धारण करने का संकल्प लिया।' अगले ही दिन से वह गीता प्रचार मिशन के साथ जुड़ गए। उन्होंने अपना पूरा जीवन इसी काम में लगा दिया है।

    लाइब्रेरी में देश की 18 भाषाओं के अलावा फ्रेंच, नेपाली व स्पेनिश भाषाओं की प्रतियां भी मौजूद

    गीता प्रचार के लिए उन्होंने एक बड़ी लाइब्रेरी बना रखी है। वह अब तक देश भर में गीता प्रचार से संबंधित चार लाख किताबें निशुल्क वितरित कर चुके हैं। इसका सारा खर्च वह खुद वहन करते हैं। इसके अलवा गीता प्रेस (गोरखपुर) और कुछ धार्मिक संस्थाएं भी उनका सहयोग करती हैं। इस काम से उनकी न सिर्फ पंजाब बल्कि अन्य राज्यों में भी अच्छी पहचान बन गई है। इस नेक काम के लिए उन्होंने अपनी एक टीम बनाई है, जो बिना किसी शुल्क के उनके काम को आगे बढ़ा रही है। इस टीम के माध्यम से वह गीता प्रचार से जुड़ा साहित्य देशभर में पहुंचाते हैं।

    सुभाष मार्केट के पास स्थित उनकी लाइब्रेरी में सिर्फ श्रीमद् भगवद् गीता से जुड़ा साहित्य ही उपलब्ध है। इसमें देश-विदेश की कई भाषाओं में छपी श्रीमद् भगवद् गीता की प्रतियां मौजूद हैं। इनमें हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, पंजाबी, तमिल, गुजराती, कन्नड़, बंगाली, नेपाली, फ्रेंच व स्पेनिश भाषाएं प्रमुख हैं। आठ देशों में प्रकाशित मूल प्रतियां भी उनके पास हैं। देश की 18 भाषाओं में प्रकाशित श्रीमद भगवद् गीता की प्रतियां उनकी लाइब्रेरी में उपलब्ध हैं। गीता साहित्य को खोजते हुए दूर-दूर से लोग उनके पास पहुंच जाते हैं।

    तैयार किया शोध का प्रस्ताव

    उनकी टीम ने साल 2006 में एक प्रस्ताव तैयार किया कि विश्व के महान ग्रंथों में शामिल श्रीमद् भगवद् गीता पर देश-विदेश में शोध होना चाहिए। इसे विषय बनाकर काम किया जाना चाहिए, लोगों की जिज्ञासा को शांत किया जा सके और उन्हें जीवन का असली महत्व बताया जा सके। इस प्रस्ताव में देश में एक गीता यूनिवर्सिटी बनाने की बात भी कही गई।

    इस प्रस्ताव को श्री गीता प्रचार मिशन के प्रमुख स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज वृंदावन वालों के पास भेजा गया। उन्होंने साल 2013 में दिल्ली के लोधी रोड स्थित कार्यालय में इस प्रस्ताव पर देश भर के करीब 150 बुद्धिजीवियों के साथ बैठक की। इस बैठक में हरियाणा के कुरुक्षेत्र में श्री गीता यूनिवर्सिटी बनाने को मंजूरी दी गई। इस पर तेजी से काम चल रहा है। उनका कहना है कि यूनिवíसटी बनने के देश-विदेश के विद्याíथयों व लोगों को बहुत लाभ मिलेगा।